सोनीपत: 12 मई को हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. जिसको लेकर सभी दल वोटों की जुगत में जुटे हुए हैं. वहीं आज हम आपको बताने वाले हैं जीटी रोड बेल्ट की एक और सीट सोनीपत के बारे में. सोनीपत को भाजपा का गढ़ कहा जाता है.
सोनीपत का राजनीतिक इतिहास
पिछले 20 साल के दौरान सोनीपत लोकसभा सीट पर तीन बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. सबसे लंबे वक्त तक बीजेपी के किशन सिंह सांगवान यहां से सांसद रहे हैं. सांगवान 1998 से लेकर 2009 तक सांसद थे. इस सीट पर पहली बार इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में सोनीपत से भारतीय लोकदल के उम्मीदवार मुख्तियार सिंह मलिक ने बाजी मारी थी. जबकि 1980 में हुए चुनाव में चौधरी देवीलाल ने जीत दर्ज की.
1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस के धर्मपाल मलिक ने चौधरी देवीलाल को हरा दिया था. जबकि 2009 में यहां से कांग्रेस के जितेंद्र सिंह मलिक ने जीत दर्ज की थी और फिर 2014 में बीजेपी के रमेश कौशिक ने बाजी मारी.
2014 के लोकसभा चुनाव में रमेश कौशिक ने कांग्रेस के जगबीर सिंह मलिक को हराया था. बीजेपी उम्मीदवार कौशिक को 3,47,203 मत मिले थे. जबकि कांग्रेसी उम्मीदवार को 2,69,789 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर इनेलो के पदम सिंह दहिया रहे थे.
जाट वोट का है गहरा असर
सोनीपत लोकसभा सीट 1977 से पहले तक रोहतक लोकसभा सीट का ही हिस्सा था. सोनीपत लोकसभा सीट जाटों के प्रभाव के अनुपात से हरियाणा में से दूसरे नंबर की सीट है. लेकिन यहां से दो बार गैर-जाट उम्मीदवार भी बाजी मार चुके हैं. सोनीपत लोकसभा में 15 लाख से ज्यादा मतदाताओं में से सबसे ज्यादा पौने पांच लाख जाट वोटर्स हैं और ब्राह्मण वोटर्स की संख्या 1,44,000 है.
सोनीपत को जाटलैंड भी कहते हैं. इस लोकसभा क्षेत्र पर जाट उम्मीदवारों का दबदबा रहा है. सोनीपत लोकसभा में अभी तक 11 बार हुए चुनाव में 9 बार जाट उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. जबकि दो बार गैट जाट उम्मीदवार को कामयाबी मिली है. इस लोकसभा सीट के तहत 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें से 6 सीटें गन्नौर, राई, खरखौदा, सोनीपत, गोहाना और बरौदा सोनीपत जिले के अंदर हैं. जबकि तीन विधानसभा क्षेत्र जुलाना, जींद और सफीदों जींद जिले में पड़ते हैं.