सोनीपत: शराब घोटाले में आरोपी पुलिस की पहुंच से काफी दूर हैं. डेढ़ महीने बाद भी नामजद आरोपियों में से पुलिस केवल दो को ही गिरफ्तार कर सकी है. पुलिस के बर्खास्त एसएचओ समेत बाकी नामजद अभी खुले घूम रहे हैं. एसआइटी में एक के बाद एक-एक कर हो रहे ट्रांसफर के चलते दो सप्ताह से जांच ठंडे बस्ते में पड़ी है. विभाग में चर्चा है कि नामजद आरोपियों को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है.
मामला हाई प्रोफाइल होने के बावजूद आरोपियों को ऊंची पहुंच का लाभ मिल रहा है. खरखौदा में आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 में छापेमारी कर गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. अफसरों ने इस शराब को उसी गोदाम में सील कर दिया था. गोदाम में 12 केस प्रॉपर्टी की शराब रखी हुई थी. लॉकडाउन के दौरान गोदाम से निकालकर शराब को बेच दिया गया. भूपेंद्र पहले से ही शराब तस्करी में सक्रिय था. उसके साथ में पुलिस अधिकारी भी मिल गए.
इस मामले में खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है. इनमें से केवल एक एएसआई जयपाल को गिरफ्तार किया जा चुका है. बाकी सभी फरार हैं. वहीं थाने के पूरे स्टाफ का ट्रांसफर किया जा चुका है. तस्करों में से केवल एक भूपेंद्र ने सरेंडर किया है. बाकी अन्य सभी फरार हैं. इस मामले में आठ मई को रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने बड़ी तेजी से जांच शुरू की. लगातार छापामारी की गईं.
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चंडीगढ़ तक इस मामले की धमक रही. उसके बाद तस्करों ने अपना रंग दिखाना शुरू किया. एकाएक एसआईटी की छापामारी थम गईं और तस्करों के यहां दी जा रही दबिश थम गई. भूपेंद्र ने शराब तस्करी से मनमानी दौलत कमाई और उसका इस्तेमाल बड़े अधिकारियों से संबंध बनाने पर किया. यही कारण रहा कि भूपेंद्र की तस्करी मनमाने तरीके से चलती रही. आलम ये है कि अभी तक बाकी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.