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लगातार हो रहे अधिकारियों के ट्रांसफर से ठंडे बस्ते में सोनीपत शराब घोटाले की जांच!

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Published : Jun 21, 2020, 2:01 PM IST

Updated : Jun 21, 2020, 3:01 PM IST

सोनीपत शराब घोटाले में खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है. इनमें से केवल एक एएसआई जयपाल को गिरफ्तार किया गया है. बाकी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.

sonipat liquor scam case update
sonipat liquor scam case update

सोनीपत: शराब घोटाले में आरोपी पुलिस की पहुंच से काफी दूर हैं. डेढ़ महीने बाद भी नामजद आरोपियों में से पुलिस केवल दो को ही गिरफ्तार कर सकी है. पुलिस के बर्खास्त एसएचओ समेत बाकी नामजद अभी खुले घूम रहे हैं. एसआइटी में एक के बाद एक-एक कर हो रहे ट्रांसफर के चलते दो सप्ताह से जांच ठंडे बस्ते में पड़ी है. विभाग में चर्चा है कि नामजद आरोपियों को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है.

मामला हाई प्रोफाइल होने के बावजूद आरोपियों को ऊंची पहुंच का लाभ मिल रहा है. खरखौदा में आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 में छापेमारी कर गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. अफसरों ने इस शराब को उसी गोदाम में सील कर दिया था. गोदाम में 12 केस प्रॉपर्टी की शराब रखी हुई थी. लॉकडाउन के दौरान गोदाम से निकालकर शराब को बेच दिया गया. भूपेंद्र पहले से ही शराब तस्करी में सक्रिय था. उसके साथ में पुलिस अधिकारी भी मिल गए.

इस मामले में खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है. इनमें से केवल एक एएसआई जयपाल को गिरफ्तार किया जा चुका है. बाकी सभी फरार हैं. वहीं थाने के पूरे स्टाफ का ट्रांसफर किया जा चुका है. तस्करों में से केवल एक भूपेंद्र ने सरेंडर किया है. बाकी अन्य सभी फरार हैं. इस मामले में आठ मई को रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने बड़ी तेजी से जांच शुरू की. लगातार छापामारी की गईं.

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चंडीगढ़ तक इस मामले की धमक रही. उसके बाद तस्करों ने अपना रंग दिखाना शुरू किया. एकाएक एसआईटी की छापामारी थम गईं और तस्करों के यहां दी जा रही दबिश थम गई. भूपेंद्र ने शराब तस्करी से मनमानी दौलत कमाई और उसका इस्तेमाल बड़े अधिकारियों से संबंध बनाने पर किया. यही कारण रहा कि भूपेंद्र की तस्करी मनमाने तरीके से चलती रही. आलम ये है कि अभी तक बाकी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी. लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गईं. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र खरखौदा थाने में सरेंडर कर चुका है. जिसे कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया जा चुका है.

कैसे हुई तस्करी?

खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं.

Last Updated : Jun 21, 2020, 3:01 PM IST

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