सोनीपत: शराब घोटाले मामले में अभी तक दो एसएचओ को सस्पेंड किया गया है. वहीं एक पुलिसकर्मी को को बर्खास्त किया गया है. इसके साथ ही 13 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज किया गया और थाने के पूरे स्टाफ को बदला गया है. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि शराब घोटाले का असर पूरे प्रदेश की पुलिस की छवी पर पड़ा है.
लॉकडाउन में सोनीपत पुलिस ने दिनरात मेहनत करके जिस इमानदारी से सेवा की थी, खरखौदा शराब घोटाले से उसकी चमक फीकी पड़ गई. एसआईटी के मुताबिक खरखौदा थाने में गड़बड़ी की शुरुआत 2019 में तत्कालीन एसएचओ अरुण कुमार ने की थी. एसआइटी के अनुसार उसने केस प्रॉपर्टी की शराब को सभी मानकों को ताक पर रखकर उसी शराब तस्कर के गोदाम में रखवा दिया, जिससे वो पकड़ी गई थी.
केस प्रॉपर्टी होने के चलते इस शराब की जगह बदलने के लिए न्यायालय से अनुमति लेनी चाहिए थी. अरुण कुमार ने ना तो न्यायालय से इसकी अनुमति ली और ना ही पुलिस अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट भेजी. माना जा रहा है कि ये शराब तस्कर भूपेंद्र से मिलीभगत कर किया गया. अरुण कुमार के खिलाफ शराब घोटाले की रिपोर्ट दर्ज है. अरुण कुमार को 31 दिसंबर की रात को अचानक हटा दिया गया था.
एसआईटी के मुताबिक एसएचओ बनाए गए जसबीर ने गोदाम से निकलवाकर शराब की बिक्री करा दी. इस मामले उसको भी थाने से हटाया गया. उसके बाद संदीप धनखड़ को खरखौदा का एसएचओ बनाया गया. उस पर मात्र दस दिन की तैनाती में शराब घोटाले को लेकर गंभीर आरोप लगे, जिसके चलते उसे बाद में सस्पेंड कर दिया गया. खरखौदा थाने के दो एसएचओ अरुण कुमार पर एक अन्य मामले में पहले 31 दिसंबर को सस्पेंड कर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. उसके बाद शराब घोटाले में रिपोर्ट दर्ज कर दोबारा सस्पेंड किया गया.
क्या है शराब घोटाला?