सोनीपत: खरखौदा शराब घोटाले में आबकारी विभाग के जिस अनुबंधित कर्मचारी सुनील का नाम पुलिस फाइलों में दर्ज है. उसका अनुबंध विभाग से सितंबर 2018 में ही खत्म हो चुका था. पुलिस के अनुसार अनुबंध समाप्त होने से पहले ही वो शराब के अवैध कारोबार से जुड़ चुका था. इस कारोबार में वो अपनी पूरी दखल रखता था. यहां तक कि विभिन्न मामलों में जब्त अवैध शराब को खरखौदा के जिस गोदाम में रखा गया था, वहां तक सुनील की सीधी पहुंच थी. आरोप है कि इसमें घोटाले के मुख्य आरोपी भूपेंद्र और उसके साथियों ने सुनील का सहयोग किया.
आबकारी विभाग से जुड़े लोगों के मुताबिक चंद सालों में ही सुनील का लाइफस्टाइल बदल गया था. वो कई बार पिस्तौल और महंगी गाड़ियों से कार्यालय आता था. सालों तक उसके साथ काम करने वाले अधिकारियों को उसके सही पते-ठिकाने का तो नहीं पता, लेकिन इतना जरूर मालूम है कि वो राजस्थान के किसी जिले का रहने वाला है.
कई साल पहले सुनील विभाग में चालक के साथ आया. इसके बाद वो अधिकारियों की गाड़ियां साफ करने, चाय पिलाने, पानी पिलाने का काम करने लगा. बाद में तत्कालीन अधिकारियों ने उसे अनुबंध पर लोडिग-अनलोडिग के लिए रख लिया था. इसके बाद धीरे-धीरे सुनील कई बड़े लोगों के साथ कार्यालय में दिखाई देने लगा. धीरे-धीरे उसका रहन-सहन बदलने लगा था. शहर और आसपास के क्षेत्र में सुनील की काफी प्रॉपर्टी बताई जा रही है.