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किसान आंदोलन का सप्लाई चेन पर बुरा असर, हरियाणा की मंडियों में बढ़े फल-सब्जियों के दाम

कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा, पंजाब और आसपास के राज्यों के किसानों ने आंदोलन छेड़ रखा है और इसी किसान आंदोलन के कारण दिल्ली से हरियाणा और पंजाब की तरफ जाने वाली सड़कों पर यातायात प्रभावित हो चुका है. जिसका असर हरियाणा में फलों और सब्जियों की आपूर्ति पर पड़ रहा है.

farmers protest vegetable price increased
किसान आंदोलन का स्पलाई चेन पर बूरा असर, हरियाणा की मंडियों में बढ़े फल-सब्जियों के दाम

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Published : Nov 29, 2020, 5:18 PM IST

Updated : Nov 30, 2020, 7:39 AM IST

सोनीपतःएशिया में फलों और सब्जियों की सबसे बड़ी मंडी के रूप में शुमार दिल्ली की आजादपुर मंडी में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से फलों और सब्जियों की आपूर्ति होती है और इसी मंडी से फिर हरियाणा समेत अन्य राज्यों में सामानों को भेजा जाता है लेकिन किसान आंदोलन के कारण यहां वाहनों की आवाजाही बुरी तरह से प्रभावित हो चुकी है. सोनीपत की गोहाना मंडी के कारोबारियों के मुताबिक जगह-जगह जाम होने से फलों और सब्जियों के वाहन रास्ते में ही फंसे हुए हैं.

आंदोलन से यातायात प्रभावित

गोहाना में मंडी व्यापारियों का कहना है कि किसी भी प्रदर्शन के दौरान दूध, फल, सब्जी जैसी रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों की आपूर्ति नहीं रोकी जाती, लेकिन यहां इनकी आपूर्ति रोकी जा रही है. जिसके कारण फलों और सब्जियों के दाम रातों-रात आसमान छूने लगे हैं. ऐसे में ग्राहक मंडियों में तो आ रहे हैं लेकिन सब्जियों और फलों के दाम सुनकर वापस लौट रहे हैं, जिसका खामियाजा मंडी व्यापारी झेल रहे हैं.

किसान आंदोलन का स्पलाई चेन पर बूरा असर, हरियाणा की मंडियों में बढ़े फल-सब्जियों के दाम

व्यापारी भी परेशान

सब्जी व्यापारी सूरजभान ने बताया कि किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब से आने वाला आलू अब मंडियों में नहीं आ रहा, जिससे आलू के भाव बढ़ चुके हैं. पहले जहां आलू 100 रूपये में ढाई किलो आता था तो वहीं अब वही आलू 130 रूपये में ढाई किलो बिक रहा है.

किसान आंदोलन से बढ़े सब्जियों के दाम

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ग्राहकों के उतरे चेहरे

फल और सब्जियों के दाम सुनकर ग्राहकों के भी चेहरे उतर चुके हैं. गोहाना मंडी में पहुंच रहे ग्राहकों का कहना था कि पहले वो 100 रुपये में अपने सब्जी का थैला भर लेते थे तो वहीं आज 250 रुपये में भी थैला खाली पड़ा है. ऐसे में उनका रसोई बजट भी गड़बड़ा चुका है.

हरियाणा की मंडियों में बढ़े फल के दाम

कब निकलेगा रास्ता?

जाहिर है किसानों के आंदोलन की वजह से दिल्ली-हरियाणा का सिंघु बॉर्डर पूरी तरह से जाम है और वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो चुकी है, जिससे आवश्यक सामान और जल्द खराब होने वाली वस्तुएं भी जाम में फंसी है. अब ये तो देखने वाली बात होगी कि आखिर कब तक अन्नदाता ठिठुरती ठंड में पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोलों के बीच अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर ऐसे ही बैठा रहेगा या फिर आमजन की परेशानियों को देखकर सरकार कोई रास्ता निकालेगी.

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Last Updated : Nov 30, 2020, 7:39 AM IST

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