सिरसाःराम रहीम की सबसे बड़ी राजदार हनीप्रीत को कोर्ट ने मंगलवार को जमानत दे दी. अंबाला जेल से बाहर आते ही हनीप्रीत सीधे सिरसा डेरा सच्चा सौदा पहुंची. जहां डेरा अनुयाइयों ने उनका पटाखे बजा कर जोर शोर से स्वागत किया. बताया जा रहा है कि डेरा पहुंचने के बाद हनीप्रीत बाबा की गुफा में गई और गुफा में जहां डेरा प्रमुख राम रहीम बैठा करता था वो वहां नतमस्तक हुई. यही नहीं हनीप्रीत ने जेल बाहर आने के बाद अपनी रात गुफा में ही गुजारी.
बाबा की 'हनी' संभालेगी डेरा!
पत्रकार नवदीप सेतिया के मुताबिक जबसे हनीप्रीत सिरसा पहुंची है हनीप्रीत ने मीडिया से दुरी बनाई हुई है. नवदीप सेतिया ने बताया कि राम रहीम के जेल जाने के बाद डेरा की गद्दी को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है और वही जेल से डेरे की कमान संभाले रहे हैं. नवदीप ने बताया कि 25 अगस्त 2017 के घटनाक्रम के बाद डेरा हर तरह से बिखर गया था लेकिन अब हनीप्रीत के डेरे में आने के बाद कयास लगाया जा रहा है कि डेरे की कमान अब हनीप्रीत के हाथ में हो सकती है. नवदीप सेतिया ने बताया की नवंबर महीने में ही डेरा में शाह मस्ताना का प्री निर्वाण दिवस पर डेरा में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन होना है. उसके बाद से डेरा सच्चा सौदा की पॉवर किसके हाथ में होगी ये तस्वीर साफ हो पाएगी.
बाबा का हर फैसला लेती थी हनीप्रीत
हनीप्रीत उन चंद डेरा समर्थकों में से एक है जिसकी गिनती राम रहीम के करीबियों में होती है. हनीप्रीत डेरा के कई महत्वपूर्ण फैसले लेने के साथ ही राम रहीम की फिल्मों को भी डायरेक्ट कर चुकी है. उसने 'MSG: द वॉरियर लॉयन हार्ट' का भी निर्देशन किया है. राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के दौरान वो कोर्ट रूम से लेकर जेल भेजे जाने तक साये की तरह राम रहीम के साथ नजर आई थी. बाबा राम रहीम कोई भी फैसला लेने से पहले सिर्फ हनीप्रीत से ही सलाह लेता था. बाबा की इस बेबी के हाथ में डेरे की सभी चाबियां रहती थीं. पैसे से लेकर हर वो फैसला जो डेरे से संबंधित होता था, वो हनीप्रीत ही करती थी.
कौन है हनीप्रीत
हरियाणा के फतेहाबाद जिले की रहने वाली प्रियंका तनेजा 1996 में पहली बार डेरे के कॉलेज में 11वीं क्लास में पढ़ने के लिए आई थी. कुछ समय बाद ही राम रहीम द्वारा प्रियंका तनेजा का नया नाम करण किया गया. अब प्रियंका राम रहीम की हनीप्रीत बन चुकी थी. धीरे-धीरे हनीप्रीत और राम रहीम की नजदीकियां बढ़ने लगी. ऐसे में बाबा के राज भी हनीप्रीत के सामने आने लगे. हनीप्रीत अब गुरमीत की सबसे करीबी बन गई थी. गुरमीत उस पर इतना मेहरबान था कि उसे कभी डेरे से बाहर नहीं जाने दिया. उसकी पढ़ाई लिखाई सब डेरे में ही करवाई गई. वहीं पर उसके नाम पर कई बड़े कारोबार शुरू किए गए. हनीप्रीत का परिवार पिछले काफी समय से डेरे से जुड़ा हुआ था.
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