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डबवाली अग्निकांड: हरियाणा के इतिहास का काला दिन, महज 6 मिनट के अंदर जिंदा जले थे 442 लोग - डबवाली अग्निकांड हरियाणा

डबवाली अग्निकांड को 27 साल पूरे हो गए हैं. ये दिन शायद ही सिरसा के लोग कभी भूल सकें. डबवाली अग्निकांड में 442 लोगों की मौत हुई थी. जिससे पूरा देश 1995 में सहम गया था.

dabwali fire sirsa
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Published : Dec 23, 2022, 10:17 AM IST

डबवाली अग्निकांड में 442 लोगों की मौत हुई थी.

सिरसा: डबवाली के लोग 23 दिसंबर को काले दिन की तरह याद करते हैं. यहां डीएवी स्कूल के प्रोग्राम में मासूमों की चीखों ने ना सिर्फ हरियाणा बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया था. चौटाला रोड पर राजीव मैरिज पैलेस में चल रहे डीएवी स्कूल के वार्षिकोत्सव में हुए भीषण अग्निकांड (dabwali fire in sirsa) में बच्चों, महिलाओं, पुरुषों समेत 442 लोगों की मौत हुई थी. जिंदगी के घाव लेकर जी रहे लोगों के जेहन में आज भी 23 दिसंबर की वो दोपहर की याद ताजा है.

क्या है डबवाली अग्निकांड? 27 साल पहले 23 दिसंबर 1995 को डीएवी पब्लिक स्कूल राजीव पैलेस में वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा था. पैलेस में सिंथैटिक कपड़े का एक पंडाल बना हुआ था. इस पंडाल में उत्सव को देखने के लिए बड़ी संख्या में छोटे बच्चे, महिलाएं, पुरुष और बुजुर्ग लोग शामिल थे. बताया जाता है कि उत्सव के दौरान ठीक 1 बजकर 40 मिनट पर मेन गेट के पास शॉर्ट-सर्किट हुआ. शॉर्ट-सर्किट की चिंगारी सिंथैटिक कपड़े से बने पंडाल पर जा गिरी.

शॉर्ट-सर्किट की चिंगारी सिंथैटिक कपड़े से बने पंडाल पर जा गिरी. जिससे आग भड़क गई.

चंद सेकेंड में ही इस चिंगारी ने एक विकराल रूप धारण कर लिया और पूरे पंडाल को अपनी जद में ले लिया. पंडाल में बैठे लोगों में जबरदस्त भगदड़ मच गई. आग लगा हुआ सिंथैटिक कपड़ा पंडाल में मौजूद लोगों पर आकर गिरता रहा और सिर्फ 6 मिनट में इस अग्निकांड ने 442 लोगों की जाने ले ली. मरने वालों में 258 मासूम बच्चे और 140 महिलाएं शामिल थीं. इस हादसे में करीब 150 लोग बुरी तरह से झुलस गए. पंडाल में चारों तरफ लाशों के ढेर लग गए थे.

अंतिम संस्कार के लिए जगह पड़ गई थी कम: अग्निकांड पीड़ित बताते हैं कि मरने वालों की संख्या इसलिए भी अधिक बढ़ी, क्योंकि मुख्य द्वार को कार्यक्रम शुरू होने के बाद बंद कर दिया गया था, जबकि स्टेज के पास एक छोटा गेट रखा गया था. इस भीषण अग्निकांड में मरे बच्चों, महिलाओं, युवकों और पुरुषों के शवों को दफनाने और जलाने के लिए शहर के रामबाग में स्थान कम पड़ गया था.

आग लगने के बाद की तस्वीर.

इसके चलते लोगों ने खेत-खलिहानों में शवों को दफनाया और अंतिम संस्कार किया. ऐसा ही हाल आग में झुलसे लोगों के उपचार को लेकर हुआ. अस्पतालों में डॉक्टरों का अभाव था और मरीजों को रखने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिल सका. घायलों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों के साथ-साथ आसपास के शहरों में और गंभीर घायलों को लुधियाना, चंडीगढ़, रोहतक, दिल्ली के निजी व सरकारी अस्पतालों में ले जाया गया.

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अग्निकांड का शिकार हुए लोगों का कहना है कि सरकार की तरफ से उन्हें आधा मुआवजा मिल गया था. डीएवी स्कूल प्रशाशन इस हादसे का पूरी तरह से जिम्मेदार था, लेकिन अभी तक स्कूल प्रशाशन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और ना ही स्कूल प्रशासन द्वारा उन्हें मुआवजा दिया गया है. लोगों का आरोप है कि किसी भी सरकार ने आजतक इन पीड़ितों की मदद के लिए सुध नहीं ली. इसके अलावा अग्निकांड पीड़ितों को मुआवजे के लिए भी एक लम्बी लड़ाई अदालतों में डीएवी प्रशासन के खिलाफ लड़नी पड़ी. 28वीं बरसी पर अग्निकांड एसोसिएशन ने बड़ा फैसला लेते हुए बरसी को अग्नि सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है.

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