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उपराष्ट्रपति ने बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में की शिरकत, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बताया क्रांतिकारी

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. कार्यक्रम की हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अध्यक्षता की. दीक्षांत समारोह में उन्होंने विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की. इस दौरान उन्होंने अपने छात्र जीवन के कई अनुभव शेयर किए.

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Published : Nov 8, 2022, 10:50 PM IST

रोहतक: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को रोहतक की बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह (Baba Mastnath University Convocation) में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. कार्यक्रम की हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अध्यक्षता की. मौसम खराब होने के कारण उप राष्ट्रपति करीब ढाई घंटे देरी से रोहतक पहुंचे. दीक्षांत समारोह में उन्होंने विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की. इस दौरान उन्होंने अपने छात्र जीवन के कई अनुभव शेयर किए.

उपराष्ट्रपति ने बताया कि सैनी स्कूल चित्तौड़गढ़ से उन्होंने स्कॉलरशिप लेकर पढ़ाई की थी. अगर उन्हें स्कॉलरशिप व क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिलती तो हो सकता है कि जीवन का मोड़ कुछ और होता. उन्होंने कहा कि 34 साल बाद बदलाव लाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (national education policy) लाई गई है. यह क्रांतिकारी नीति है. उन्होंने कहा कि निवेश के लिए भी युवाओं को अनेक अवसर मिले हैं. अब हर वर्ग को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिल रहा है, जो पहले नहीं था.

जगदीप धनखड़ ने कहा कि हरियाणा की भूमि वीरों की भूमि है. यहां के किसान व जवान ने देश का गौरव बढ़ाया है. इसमें खिलाड़ियों का नाम भी जुड़ गया है. जिन्होंने देश व दुनिया में हरियाणा का नाम रोशन किया है. राष्ट्र की सुरक्षा में भी हरियाणा निवासियों का योगदान रहा है.

समारोह के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि एलोपैथी के डॉक्टर खुद को सुप्रीम मानकर आयुर्वेद को नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं. आयुर्वेद प्राचीन पद्धति है और इससे लोगों का स्वास्थ्य निर्भर करता है. लोग बीमार न हों, यह निर्धारित करना व बीमारी आने से रोकना आयुर्वेद का काम हैं. जबकि एलोपैथी बीमार होने के बाद स्वस्थ करने का काम करती है.

उन्होंने बताया कि एक समिति बनाई है जो एलोपैथी व आयुर्वेद दोनों पद्धतियों का समन्वय कैसे बैठाया जा सके. समन्वय बनाकर दोनों की शिक्षा एक साथ एक चिकित्सक ले पाए. चाहे इसके लिए चाहे नई डिग्री की व्यवस्था करनी पड़े ताकि उसमें हर पद्धति को शामिल किया जा सके.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरे देश में वर्ष 2030 तक लागू करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन हरियाणा में इसे वर्ष 2025 तक लागू करने का लक्ष्य है ताकि शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाया जा सके. इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. पूरा विश्वास है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 2025 तक पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा.

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