दो साल बाद किसानों का फूटा गुस्सा रोहतक:हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी सरकार के सामने बहुत सी चुनौतियां है. एक के बाद एक तमाम वर्ग सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर नारेबाजी कर रहा है. इस बार सीएम मनोहर लाल के पैतृक गांव निंदाना के किसान उनके खिलाफ खड़े हो गए हैं. किसानों का आरोप है कि उनकी जमीन में बड़ा घोटाला किया गया है, जिसके चलते गुरुवार को गुस्साए किसान रोहतक में डीसी ऑफिस के बाहर पहुंच गए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान किसानों ने अपनी मांगों का ज्ञापन भी रोहतक उपायुक्त अजय कुमार को सौंपा है.
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दरअसल, निंदाना गांव के लोगों ने अधिकारियों पर किलाबंदी के दौरान घपलेबाजी करने के आरोप लगाए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वो पिछले करीब दो साल से गांव में इस घपलेबाजी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन सरकार और अधिकारी सिवाय आश्वासन देने के और कुछ नहीं करती. जिसके चलते आज उनको रोहतक में प्रदर्शन करना पड़ा.
मामला साल 2015 का है. जब निंदाना गांव में जमीन की किलेबंदी की गई थी. किलेबंदी में की गई घोटालेबाजी को लेकर ग्रामीणों में रोष है. ग्रामीण पिछले डेढ़ साल से किलाबंदी में हुई घपलेबाजी के खिलाफ गांव में ही धरने पर बैठे हुए हैं. जिसके बाद आज ग्रामीण रोहतक में पहुंचे और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीणों ने उपायुक्त को एक ज्ञापन भी सौंपा.
डीसी ऑफिस के बाहर किसानों का प्रदर्शन ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के कुछ लोगों के साथ मिलकर अधिकारियों ने उनकी गलत तरीके से किलाबंदी की है. जिसके बाद वह अधिकारियों के चक्कर काट कर हार गए हैं. अब ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर उस किलाबंदी को निरस्त करने और इसकी न्यायिक जांच कराने की मांग की है. ग्रामीणों ने कहा कि मौजूदा किलाबंदी से ऐसे बहुत किसान हैं, जिन्हें जमीन मिली ही नहीं. कहीं पर खेत में जाने का रास्ता भी नहीं है. ऐसे में वो परेशान है.
गुस्साए ग्रामीणों ने कहा कि किसी के खेत में किलाबंदी गलत की गई है. किसी के खेत ही खत्म कर दिए. दो साल से धरने पर बैठे हैं. लेकिन कोई सुनने को राजी नहीं है. किसानों का आरोप है कि पटवारी ने उनसे पैसे खाए हैं, लेकिन उनकी समस्या का हल नहीं किया. उन्होंने कहा कि अब डीसी और सरकार भी हमारी समस्या का समाधान नहीं कर रही है. किसानों ने कहा कि सीएम हमारे ही गांव के हैं. लेकिन वो हमारी ही सुध नहीं ले रहे हैं.
किसानों ने कहा कि इस जमीन की किलाबंदी में जो घोटाले बाजी की गई है, उसका सरकार को तुरंत निवारण करना चाहिए. गुस्साए किसानों ने कहा कि न तो ये जमीन हमें सीएम खट्टर ने दी है और न ही डीसी ने दी है. इतनी बार कहने के बावजूद भी डीसी हमारी बात नहीं सुन रहे. उन पर सीएम का दबाव है या क्या है पता नहीं. लेकिन लंबे समय से हमारी समस्या की कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
दूसरी ओर उपायुक्त अजय कुमार का कहना है कि काफी समय से इस बारे में जांच की जा रही है. जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. साथ ही जल्द इस मामले को निपटाया भी जाएगा. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते सरकार और प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले समय में बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा. ग्रामीणों ने कहा कि जमीन की किलाबंदी के दौरान किया गया भूमि हस्तांतरण रद्द किया जाए. 2015 से अभी तक की गई किलाबंदी की कार्रवाई की न्यायिक जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
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