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पीतल नगरी में लगे कचरे के अंबार, स्वच्छता के दावे हवा हवाई

बता दें कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में रेवाड़ी को 264वा रैंक मिला है. अगर पिछले सर्वेक्षण की बात की जाए तो रेवाड़ी 9 पायदान और नीचे चला गया है. ऐसे में यहां सफाई के दावे करना बेमानी सा लगता है.

पीतल नगरी में लगे कचरे के अंबार

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Published : Mar 10, 2019, 9:08 AM IST

रेवाड़ी: देश को साफ सुथरा बनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देशभर में चलाए गए स्वच्छता अभियान के बावजूद स्थिति आज भी ढाक के तीन पात वाली बनी दिखाई दे रही है.

बता दें कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में रेवाड़ी को 264वा रैंक मिला है. अगर पिछले सर्वेक्षण की बात की जाए तो रेवाड़ी 9 पायदान और नीचे चला गया है. ऐसे में यहां सफाई के दावे करना बेमानी सा लगता है.

भले ही स्वच्छता अभियान को कारगर बनाने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर सफाई कर्मचारियों तक हर किसी ने अपने हाथ में झाड़ू उठाई हो, लेकिन आज भी जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर सरकार के दावों को मुंह चिढ़ा रहे हैं.

जी हां, हम बात कर रहे हैं पीतल नगरी रेवाड़ी की, जहां लगे दिखाई दे रहे ये गंदगी के ढेर न केवल लोगों के लिए जी का जंजाल बन गए हैं, बल्कि मौसम में बदलाव के चलते इन ढेरों में पनपने वाले मक्खी मच्छरों के कारण लोगों में तरह-तरह की संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा पैदा हो गया है.

वहीं कुछ मोहल्लों में तो लोग डेंगू मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं. दुर्गंध इतनी भारी कि लोगों का सांस लेना तक दुश्वार हो चला है. ऊपर से ढेरों पर विचरण करने वाले बेसहारा पशुओं के कारण लोगों में दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है.

पीतल नगरी में लगे कचरे के अंबार


दरअसल, गंदगी की ये तस्वीर रेवाड़ी शहर के कंकरवाली रोड की है, जहां स्वयं नगर परिषद की जमीन पर कचरे के अंबार लगे हैं. लोगों की माने तो यहां सालों से सफाई हुई ही नहीं है. कभी-कभार सफाई कर्मचारी आते हैं और कुछ कचरा यहां से गाड़ी में भरकर ले जाते हैं.


हैरान करने वाली बात तो ये है कि दूसरे मोहल्लों का कचरा भी यहीं पर डाला जाता है. वहीं अगर दूसरे मोहल्लों की बात करें तो वहां लोगों को सफाई कर्मचारियों के दर्शन तक नहीं होते. ऐसे में सिवाय प्रशासन को कोसने के उनके पास कोई दूसरा चारा नहीं है, क्योंकि अनेक बार गुहार लगाने के बावजूद आज तक उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.

ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब सरकार अपनी जमीन से ही कचरा नहीं उठा सकती तो शहर की सफाई व्यवस्था को कैसे और कब तक दुरुस्त कर पाएगी, यह देखने वाली बात होगी.

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