रेवाड़ी: रोड आई गांव के रहने वाला चिराग यादव 10 हजार तक के पहाड़े जानता है और वह 100 की संख्या तक वर्ग भी कुछ समय में ही निकाल देता है. चिराग ने कोई विशेष प्रशिक्षण भी नहीं लिया बल्कि खुद ही मेहनत करके ये सब याद किया है.
चिराग के पिता कुलदीप और माता दीपक कुमारी ने सैनिक स्कूल की तैयारी के लिए पहले 30 तक पहाड़े याद कराए बस उसके बाद चिराग ने 1 महीने में ही इतनी संख्या तक पहाड़े याद कर लिए. पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले चिराग की इस क्षमता को देखकर स्कूल में भी उसे सीधे दूसरी कक्षा से चौथी में प्रवेश मिल गया. चिराग ने बताया कि वह सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहता है और इसके प्रवेश की तैयारी कर रहा है. चिराग का कहना है कि वह बड़ा होकर साइंटिस्ट बनना चाहता है.
चिराग के पिता ने बताया कि वह गणित में शुरू से ही मेधावी रहा है. गणित में हर परीक्षा में नंबर भी अच्छे आते हैं. इसके अलावा उसकी एक विशेषता यह भी है कि वह अंग्रेजी के ज्यादातर कठिन शब्द बिना गलती के लिख लेता है. वहीं चिराग की मां ने बताया कि चिराग की इस कामयाबी पर उन्हें गर्व है और इसे कुछ मदद मिले तो यह अपने गांव के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन कर सकता है क्योंकि हम गरीबी के चलते उसे महंगी कोचिंग नहीं दिलवा सकते हैं.
जिला शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलस्वाल ने चिराग को पुरस्कार देने और सम्मानित करने की बात कही और साथ ही सरकारी मदद दिलवाने की कोशिश करने का वादा किया. चिराग के टैंलेट की तो हर किसी ने तारीफ की है लेकिन अब देखना होगा कि क्या गरीब मां-बाप के इस होनहार बेटे की मदद के लिए सरकार हाथ बढ़ाएगी या नहीं.