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रेवाड़ीः पिछले 17 साल से यहां हर साल होते हैं सामूहिक विवाह

रेवाड़ी में श्री श्याम सेवा समिति द्वारा सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया. आपको बता दें कि ये आयोजन पिछले 17 सालों से किया जा रहा है. ये समिति गरीब परिवार की बेटी की शादी का सारा खर्चा खुद ही उठाते है. इस साल जोड़ी शादी के बंधन में बंधने जा रही है.

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Published : Jan 14, 2020, 8:19 PM IST

community wedding by shyam seva committee in rewari
सामूहिक विवाह का आयोजन

रेवाड़ी: जिले में सामूहिक विवाह का आयोज किया गया. ये आयोजन समाज सेवियों द्वारा किया गया. श्री श्याम सेवा समिति आज अन्य समितियों के सामने सामाजिक सरोकार में एक उदाहरण पेश कर रही है. समाजसेवी का ये आयोजन पिछले 17 सालों से चल रहा है.

समिति द्वारा सामूहिक विवाह का आयोजन

आपको बता दें कि मकर सक्रांति के अवसर पर श्री श्याम सेवा समिति पिछले 17 वर्षों से 308 गरीब कन्याओं की शादी करा चुकी है. आज भी 22 जोड़ों को परिणय सूत्र में बांधने जा रही है.इस समाज सेवा समिति से जिला के 500 से ज्यादा लोग जुड़े हुए है और किसी ना किसी रूप से मदद के लिए सदैव तत्पर रहते है.

रेवाड़ी में सामिति द्वारा समाजिक पहल, देखें वीडियो

पिछले 17 सालों से किया जा रहा है आयोजन

आपको बता दें कि सबसे पहले शुरुआत एक बेटी के विवाह से हुई थी. लेकिन अब तक ये समाजसेवी 308 गरीब परिवार की बेटियों की शादी अपने सामूहिक विवाह सम्मेलन में करवा चुके हैं. अच्छी बात ये है कि इस सामूहिक विवाह समारोह में शादी का पूरा खर्चा सदस्यों की ओर से उठाया जाता है. आज के इस सामूहिक विवाह में मगर सक्रांति के दिन 22 जोड़े

गरीब परिवारों की बेटी की शादी का खर्चा उठाता है ये समिति

परिणय सूत्र में बंधेगे. खास बात यह है कि दोनों पक्ष जिले से जुड़े होने चाहिए. इसमें वही शादी के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते है. उनमें यह भी देखा जाता है कि वह परिवार वास्तव में जरूर मन है और शादी का खर्चा वहन नहीं कर सकता है.

उसी परिवार की बेटी की शादी का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. जोड़ो का घर बसाने के लिए शादी का पूरा सामान श्री श्याम समिति द्वारा ही दिया जाता है. यही नहीं खानपान और फेरे की शादी की सभी रस्में पूरी हिंदू रीति-रिवाज के हिसाब से कराई जाती है.

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समिति के प्रधान ने बताया कि 2 साल पहले बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम को आगे बढ़ाया और इस पर पहल करते हुए जिले के जिन जोड़ों की शादी होती है उनके अगर पहली संतान बेटी होती है तो समिति की और से 50 हजार रुपए प्रधान किए जाते है. शादी में खास बात है कि इसमें प्लास्टिक का उपयोग नहीं होता. डोना से लेकर चमच्च तक लकड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है.

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