पानीपत: मोबाइल पर आधारित वर्चुअल दुनिया ने बहुत से लोगों को अकेलेपन का मरीज बना दिया है. इसका सबसे बड़ा शिकार आज का युवा है. ये अकेलापन उनके लिए जानलेवा बन रहा है. हालात ये है कि मोबाइल पर व्यस्त युवा घर में होने के बावजूद परिजनों से बहुत दूर हो गया है. अकेलेपन और अपनी समस्याओं जूझ रहे ये बच्चे अपनी जिंदगी तक खत्म कर रहे हैं. हरियाणा के पानीपत जिले में पिछले एक महीने में 5 युवाओं के सुसाइड के मामले सामने आ चुके हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि सुसाइड से पहले इन सभी ने सोशल मीडिया पर दुख भरे स्टेटस पोस्ट किए थे.
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दो मौसेरे भाइयों ने की आत्महत्या- इंस्टाग्राम अकाउंट पर सैड स्टेटस लगाने के बाद पानीपत के मटलोदा गांव निवासी दो मौसेरे भाई 20 वर्षीय राजन और 22 वर्षीय अंकित ने 9 अगस्त को सुसाइड कर लिया. दोनों के आत्महत्या के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया. अचानक उनकी मौत से पूरा परिवार सदमे में है. मौत से पहले दोनों ने सोशल मीडिया अकाउंट पर सैड स्टेटस पोस्ट किया था.
ताइक्वांडो खिलाड़ी ने किया सुसाइड- दूसरा मामला पानीपत के गांव मेहराणा का है. ताइक्वांडो के राष्ट्रीय खिलाड़ी 21 वर्षीय पुष्पेंद्र ने भी सुसाइड कर लिया. पुष्पेंद्र ने अपने पिता राजेंद्र से नैनीताल घूमने जाने की बात कही थी. लेकिन पिता ने जाने से मना कर दिया. पुष्पेंद्र घर से बाइक उठा कर चला गया. परिजन यही सोचते रहे कि वो वापस आ जाएगा. लेकिन अगले दिन पुष्पेंद्र कसाव शिव गांव के पास रेलवे ट्रैक के किनारे पड़ा मिला. पुष्पेंद्र ने भी मौत से पहले सैड स्टेटस पोस्ट किया था.
होटल में मिले दो दोस्तों के शव- ऐसा ही कुछ मामला बीते तीन दिनों पहले सामने आया. जहां सोनीपत के गांव मदीना के रहने वाले 19 वर्षीय अमन और उसके 19 वर्षीय दोस्त साहिल ने एक होटल में आत्महत्या कर ली. पुलिस ने जब दोनों के सोशल अकाउंट की जांच की तो दोनों ने दर्द भरे स्टेटस लगाए थे. यही नहीं मौत को गले लगाने से पहले दोस्तों के इंस्टाग्राम पर हैरान कर देने वाला स्टेटस सामने आया था. उन्होंने लिखा था 'जिंदगी की तलाश में, मौत के कितने पास आ गए'. इसके बाद भी परिजनों ने उनकी सुध नहीं ली और आखिरकार दोनों पानीपत के एक होटल में मृत पाए गए.
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ये सभी केस खुदकुशी के हैं, जिनसे माता-पिता को कभी ना भरने वाले जख्म मिले हैं. हैरानी की बात है कि आत्महत्या करने वाले सभी युवा हैं और उन सभी की उम्र महज 19 से 20 साल की है. ऐसे में माता-पिता को जरूरत है बच्चों को समय देने की. उनके मन को टटोलने की. आखिर उनका बच्चा क्या सोच रहा है. किस मानसिक तनाव से गुजर रहा है. माता-पिता को अपने बच्चों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए. बच्चों से एक दोस्त जैसा रिश्ता बनाना चाहिए. ताकि बच्चे अपने माता-पिता से खुलकर बात कर सकें और अपनी समस्याओं को खुलकर बता सके. युवाओं की बदलती सोच पर माता-पिता को ध्यान देना चाहिए.
बच्चों को समय देना बहुत जरूरी- मनोचिकित्सक डॉ. अमित मलिक कहते हैं कि बच्चों को टाइम देना बहुत जरूरी है. उनके सोशल मीडिया पर भी ध्यान देना चाहिए. बच्चा सोशल मीडिया पर सैड स्टेटस लगा रहा है, तो परिजनों को सावधान हो जाना चाहिए. मनोचिकित्सक की मानें तो युवा और किशोर जब युवा अवस्था के पहले पड़ाव में होते हैं, तो वह खुलकर किसी से अपनी बात नहीं कर पाते. लेकिन कहीं ना कहीं अप्रत्यक्ष रूप से इसका संकेत जरूर देते हैं.
अकेलेपन में चीख रहे बच्चे- मनोज मलिक ने कहा कि अगर बच्चा अपनी परेशानी नहीं बता रहा और अपने सोशोल मीडिया पर सैड या अकेलेपन का स्टेटस लगाता है, तो इसे मेडिकल भाषा में Cry for Help कहा जाता है. यानी कि वह अप्रत्यक्ष रूप से आपसे मदद मांग रहा है. ऐसी अवस्था में माता-पिता को समझ जाना चाहिए. इसके लिए आजकल सबसे आसान माध्यम युवाओं के लिए उनका सोशल मीडिया ही है.
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बच्चों के सोशल मीडिया पोस्ट नजरअंदाज ना करें- मनोचिकित्सक के मुताबिक, मानसिक तनाव से गुजर रहे युवा फेसबुक व इंस्टाग्राम पर पोस्ट डालकर अपना दुख दुनिया के सामने रखने की कोशिश करते हैं. लेकिन अक्सर परिजन इसे नजरअंदाज कर देते हैं. इसके घातक परिणाम सामने आते हैं. अगर परिजन इस पर ध्यान दें तो मनोचिकित्सक की सलाह लेकर बच्चों की काउंसलिंग करवा कर समस्या दूर की जा सकती है.
मां-बाप क्या करें- डॉ. अमित मलिक कहते हैं कि किशोर और युवाओं में सहनशीलता इस उम्र में ना के बराबर होती है. वो अपनी समस्याओं को सबसे गंभीर समस्या मानते हैं. उनके दिमाग में होता है कि उन समस्याओं का समाधान नहीं है. बदलते समय के अनुसार युवा व किशोर पर बुरा असर पड़ रहा है. अगर आपके बच्चे भी सोशल मीडिया पर परेशानी भरे या अकेलेपन की पोस्ट शेयर करें, तो सावधान हो जाइए. उन्हें समय दीजिए, अगर उससे भी समस्या का समाधान ना हो तो तुरंत मनोरोग चिकित्सक के पास जाइए.
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