पानीपत: भारतीय संस्कृति में नारी सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है. यहां तक कि वेदों में भी लिखा है कि 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र रमंते देवता:', अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवताओं का निवास माना जाता है. इतना ही नहीं नारी को बलिदान का रूप भी कहा जाता है. अगर भारतीय इतिहास को खंगाला जाए, तो महिलाओं द्वारा किए गए कई ऐसे कार्य है जिनकी बदौलत नारियों ने अपनी अलग पहचान बना ली है. चाहे उनमें रानी लक्ष्मीबाई हो, कल्पना चावला हो, सुष्मा स्वराज हो, लता मंगेशकर हो. इन सबने महिला शक्ति को एक अलग ही बल प्रदान करने का काम किया है. जिसकी बदौलत आज महिलाएं किसी की मोहताज नहीं रह गई है. आज हम आपको पानीपत की एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे है, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपने आसपास के क्षेत्र में अलग ही मिसाल कायम कर दी है.
हम बात कर रहे हैं, पानीपत से लगभग 24 किलोमीटर दूर गोयला खुर्द की रहने वाली महिला किरण (Panipat Kiran inspirational story) की. किरण की शादी 1977 में गांव कोयला के रहने वाले हरि सिंह के साथ हुई थी. जिसके बाद किरण फतेहाबाद आ गई थी. किरण के पति हरि सिंह बीएसएफ में एक जवान के पद पर तैनात थे. जिसके चलते घर की जिम्मेदारी किरण पर आ गई और किरण ने उस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. बता दें कि किरण के पास 9 एकड़ जमीन है, जो कि यमुना के किनारे है. यमुना के किनारे हरियाणा और उत्तर प्रदेश का बॉर्डर लगता है, जहां अमूमन किसानों के आपसी झगड़े होते रहते हैं.
गौरतलब है कि किरण के आठ बेटियां है. पति बीएसएफ में थे, तो ऐसे में घर और बेटियों की जिम्मेवारी किरण के कंधे पर ही थी. ऐसे में एकांत में घर होने के कारण किरण ने अपने गन का लाइसेंस बनवाया और लाइसेंस बनवाने के बाद खेतों में खुद ही सुरक्षा के लिए निकल पड़ी. धीरे-धीरे किरण ने ट्रैक्टर से खेतों की जुताई करना शुरू कर दिया. किरण ने बताया कि उनके अंदर एक जज्बा था, जिस तरह पति देश की सेवा करते हैं, वह भी यहां अपने गांव वासियों की सेवा करें. किरण के पति अब सेना से रिटायर हो चुके हैं, और अपने कुछ कामों के साथ-साथ थोड़ा बहुत किरण का भी हाथ बंटाते हैं.