पानीपत:मुसीबतें ही सिखाती हैं इंसान को जिंदगी जीने का हुनर, कामयाबी का मिलना कोई इतेफाक नहीं होता. मिलती अगर खैरात में कामयाबी तो हर शख्स कामयाब होता, फिर कदर ना होती कामयाबी की ना कोई कामयाब इतना खास होता. जी हां कड़ी मेहनत हर सफल इंसान की सफलता की कुंजी होती है. इसी मेहनत से कठिन रास्तों को सरल बनाने के प्रयास में जुटा है पानीपत का छात्र. जो दिन-रात पढ़ाई के साथ-साथ रिक्षा चलाकर अपनी पढ़ाई (driving rickshaw for his studies) का और घर का गुजारा करता है. हर नई सुबह एक नई उम्मीद के साथ अपने काम और मेहनत से दिन की शुरुआत से लेकर रात के अंधेरे तक कड़ी मेहनत करता है.
हम बात कर रहे हैं पानीपत की एक छोटी सी कॉलोनी में किराए के मकान में रहने वाले सुमित की. सुमित अपनी मेहनत से अपना मुकम्मल हासिल करने की हर कोशिश करता है. सुमित के पिता ने सुमित को मेहनत मजदूरी कर दसवीं कक्षा तक पढ़ाने के बाद कह दिया कि वह उसे पढ़ाने में असमर्थ है. इसके बाद सुमित के पिता ने सुमित को ही मेहनत मजदूरी (rickshaw driving for his studies) करने को कह दिया और जिम्मेदारी सुमित के कंधों पर आ गई. सच भी है! आखिर वो बाप भी कब तक मजदूरी करता रहेगा. जिसने तांउम्र मजदूरी की हो और अपने बच्चों को पालने के लिए ना जाने क्या-क्या जदोजहद की हो.
सुमित को मजदूरी तो करनी थी अपने पिता का बोझ भी हलका करना था और अपने सपनों को भी पूरा करने के लिए मंजिल को ओर भी जाना है. ऐसे में सुमित ने अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए स्कूल के बाद मजदूरी करना शुरू कर दिया. दसवीं क्लास में फर्स्ट पॉजिशन हासिल करने के बाद फिर अपनी मेहनत से 12वीं कक्षा में भी फर्स्ट पॉजिशन लाने का सिलसिला जारी रहा. इसके बाद कॉलेज में दाखिला (drives a rickshaw on rent in panipat) लेने का समय आया तो पिता बीमार हो गए और खर्च भी स्कूल से ज्यादा बढ़ गया.
लेकिन सुमित के मन में कभी ना टूटने वाली उम्मीद और भी ज्यादा पक्की हो गई इस दौरान सुमित ने हार नहीं मानी और बी फार्मा में करनाल के कॉलेज में एडमिशन ले लिया. सुमित अब कॉलेज के बाद किराए पर ही रिक्शा (drives a rickshaw on rent in panipat)लेकर मजदूरी कर रहा है. सुमित को सड़क पर रिक्शा में बैठे हुए और फुटपाथ पर बैठे हुए ईटीवी भारत की टीम ने देख लिया और अपने कैमरे में कैप्चर कर लिया. इतनी मासूमियत और इमानदारी से मेहनत करता सुमित (rickshaw driving for his studies) और जब तक रिक्शा में सवारी नहीं आती तो किताब पढ़ता भी नजर आया. जब सवारी आती है तो समित पढ़ाई छोड़ कर सवारियां छोड़ने का काम करता है.