पानीपत: जिले में लगातार क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. लूट और हत्या के मामलों के साथ-साथ महिला उत्पीड़न के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं. अगर सिर्फ महिलाओं से जुड़े अपराधिक घटनाओं की बात करें तो कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.
महिला सुरक्षा और उनके साथ पिछले कुछ समय में हुई वारदात को लेकर ईटीवी भारत ने समाज सेविका सविता आर्य से बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि उनके द्वारा एक आरटीआई लगाई गई थी, जिससे पता चला कि पिछले दो वर्षों में 159 से ज्यादा रेप के मामले सामने आए हैं. जिनमें कई मामले ऐसे थे जो झूठे थे.
पानीपत में नहीं थम रही महिलाओं से दरिंदगी, हर महीनें सामने आ रहे हैं 7 मामले महिलाओं से जुड़े अपराधिक मामले
वहीं अगर बात नाबालिग बच्चियों से जुड़ें मामलों की जाए तो पिछले 3 साल में पोक्सो एक्ट के तहत 131 मामले दर्ज हुए हैं और इनमें से अधिकतर लोगों पर कार्रवाई कर ली गई और कुछ मामलों में जांच जारी है.
वहीं कुछ झूठे मुकदमें भी दर्ज किए गए हैं. वहीं उन्होंने बताया कि 12 वर्ष से कम उम्र कू बच्चियों के साथ छेड़छाड़ करने वाले ज्यादातर आरोपी या तो कोई अपना होता है या फिर आस-पड़ोस में रहने वाला व्यक्ति.
पानीपत में नहीं थम रही महिलाओं से दरिंदगी, हर महीनें सामने आ रहे हैं 7 मामले नाबालिग बच्चियों से जुड़े मामले
सविता आर्य का कहना था कि उनकी आरटीआई में ये भी सामना आया है कि महिलाओं से छेड़छाड़ के अधिकतर मामले झठे होतें है क्यों कि कुछ महिलाएं अपने अधिकारों का फायदा उठाती है जिसका खामियाजा कई बार पुरुषों को भुगतना पड़ता है.
पानीपत में नहीं थम रही महिलाओं से दरिंदगी, हर महीनें सामने आ रहे हैं 7 मामले ये भी पढ़ें:सज चुकी थी डोली, बाराती थे तैयार...लेकिन दुल्हे की इस 'गंदी बात' से टूट गई शादी
वहीं राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष प्रीति भारद्वाज ने महिलाओं सुरक्षा को लेकर कहा कि सबसे पहले समाज को, हमें खुद को अपने अंदर बदलाव लाने होंगे और तभी महिलाओं से जुड़े आपराधिक मामलों में कमी आ सकती है.
ये भी पढ़ें:पंचकूला में 8 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में 65 वर्षीय बुजुर्ग गिरफ्तार
हम आपको ये भी बता दें कि पानीपत जिले में 13 महिला थाने बनाए गए हैं और जिले का डाटा मांगने पर मात्र पुलिस ने इन चार थानों का डाटा ही हमें दिया है. वहीं राज्य महिला आयोग का कहना है कि महिलाओं और बच्चियों के प्रति बढ़ता अपराध एक चिंता का विषय है. इसलिए प्रशासन के साथ-साथ समाज को भी खुद में बदलाव लाना होगा और महिलाओं को खुद ये फैसले लेने होंगे उन्हें किस वक्त कौन सी जगह पर जाना है या फिर नहीं जाना है.