पानीपतः पानीपत के सेक्टर 11 में करोड़ों रुपये की जमीन पर अवैध कब्जा हटवाने के मामले में लापरवाही का दोषी पाते हुए लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने सरकार को पानीपत के डीसी रहे समीर पाल सरो, चीफ एडमिनिस्ट्रेटर एचएसवीपी, एडमिनिस्ट्रेटर रोहतक, पानीपत के एस्टेट ऑफिसर विकास ढांडा और दीपक घणघस के खिलाफ विभागीय और दंडात्मक कार्रवाई करने की सिफारिश की है. लोकायुक्त ने सरकार से की गई की गई कार्रवाई के बारे में 3 महीने में रिपोर्ट भी तलब की है.
आरटीआई एक्टिविस्ट ने की थी मामले की शिकायत
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने लोकायुक्त को 4 जुलाई 2016 को शिकायत दी थी. शिकायत में आरोप लगाया था कि सेक्टर-11 में गरीबों के लिए आरक्षित 15 आवासीय प्लॉटों पर हैदराबादी शमशान भूमि समिति के दंबगों ने जबरन कब्जा करके 22 शोरूम बना दिए है.
लोकायुक्त ने की अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश. राजनैतिक दबाव में अधिकारी ने किया काम
आरोप था कि दबंग कब्जाधारियों को स्थानीय विधायक रोहिता रेवड़ी का पूरा संरक्षण प्राप्त था. इसी कारण एचएसवीपी के एस्टेट ऑफिसर ने अवैध कब्जा होने दिया. शिकायत होने पर एचएसवीपी के एस्टेट आफिसर ने 3 फरवरी 2016 और 22 जुलाई 2016 को तत्कालीन डीसी समीर पाल सरो से अवैध कब्जों को गिराने के लिए पुलिस फोर्स देने के लिए पत्र लिखा था. परंतु तत्कालीन डीसी समीरपाल सरो ने राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस फोर्स की अनुमति नहीं दी.
ये भी पढ़ेंः- AJL प्लॉट आवंटन मामला: ED कोर्ट में पेश हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा, 21 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
लोकयुक्त ने सरकार से की कार्रवाई की सिफारिश
लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने पिछले 20 नवम्बर 2019 को सरकार को भेजी अपनी जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए अधिकारियों के विरूद्ध सख्त टिप्पणी की है. लोकायुक्त ने रिपोर्ट में कहा कि ये हैरानी की बात है कि एचएसवीपी के चीफ एडमिनिस्ट्रेचर ने इन अवैध कब्जों को गिराने और प्रशासक एचएसवीपी रोहतक सहित सभी दोषी अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई करने के बजाए प्रशासक एचएसवीपी रोहतक की अध्यक्षता में चीफ टाऊन प्लानर और सुपरिटेंडेंट (अर्बन ब्रांच) एचएसवीपी पंचकूला की एक कमेटी गठित कर दी. इस उच्चस्तरीय कमेटी ने अपनी 5 जुलाई 2018 की रिपोर्ट में एडमिनिस्ट्रेटर रोहतक को 2 दिन में हैदराबादी शमशान भूमि ट्रस्ट को यह भूमि अलॉट करने बारे प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए.
अधिकारियों और कब्जाधारियों में मिलीभगत का आरोप
लोकायुक्त रजिस्ट्रार एमएस सुल्लर ने अपनी 9 जनवरी 2019 की जांच रिपोर्ट में एचएसवीपी के इन सभी अधिकारियों की अवैध कब्जाधारियों से मिलीभगत होना पाया था. इतना ही नहीं इन अवैध कब्जों को गिराने और दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई की रिपोर्ट बार-बार मांगने पर भी तत्कालीन चीफ एडमिनिस्ट्रेटर ने लोकायुक्त रजिस्ट्रार को कोई जवाब तक नहीं दिया.
समीरपाल सरो के खिलाफ कार्रवाई की तीसरी सिफारिश
गौरतलब है कि लोकायुक्त की जांच में दोषी पाए जाने के उपरांत पानीपत के तत्कालीन डीसी समीरपाल सरो के विरूद्ध लोकायुक्त द्वारा सरकार को कार्रवाई करने के लिए की गई सिफरिश का यह तीसरा केस है. आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि इससे पहले उनकी शिकायत पर लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने तत्कालीन डीसी समीरपाल सरो सहित 5 आईएएस के विरूद्ध अंबाला के मनरेगा घोटाला में भ्रष्टाचार की धाराओ में मुकद्दमा दर्ज करने की सिफारिश की थी. इसी तरह मॉडल टाऊन पानीपत के आवासीय क्षेत्र में अवैध शॉपिंग मॉल निर्माण के मामले में भी लोकायुक्त ने तत्कालीन डीसी समीर पाल सरो और एडीसी आरएस वर्मा सहित नगर निगम पानीपत के 4 अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश सरकार से की है.
ये भी पढ़ेंः- प्रदेश में अब हर तीन महीने में होगा रोजगार मेले का आयोजन- दुष्यंत चौटाला