पानीपत:ये सच है कि बचपन अच्छाई बुराई और जीवन के उतार चढ़ाव से परे होता है. बचपन जिंदगी का सबसे सुनहरा वक्त होता है, लेकिन ये बच्चों को देख कर आपका बातों से भरोसा ऊठ जाएगा, जिस उम्र में बच्चों के हाथ में खिलौने और कलम होनी चाहिए, उस उम्र में इन बच्चों के हाथ में नशा है. 5 से 10 साल की जिस उम्र में बच्चे कल्पनाओं को संजोते हैं. उस उम्र में ये नशे के आवेश में है.
ये बच्चे पानीपत शहर में पूरा दिन बाजार में भीख मांगते हैं, कूड़ा बीनते हैं. जिससे नशे लायक पैसे का जुगाड़ हो सके. बड़ी बात ये है कि ये नशा काफी सस्ता और आसानी से मिल जाता है. ये बच्चे टायर पंक्चर में इस्तेमाल होने वाली ट्यूब का इस्तेमाल नशे के लिए करते हैं. इसे पॉलिथीन में डाल कर रगड़ते हैं और एक सांस में सूंधकर मदहोश हो जाते हैं. इनकी जिंदगी बस ऐसे सुबह-शाम नशे में बर्बाद हो रही है. जिसकी न किसी को फिक्र है न गरज.
बड़ी बात यह है कि हरियाणा में इन ट्यूब्स को बेचने पर प्रतिबंध है. सीडब्ल्यूसी और डीसीडब्ल्यू यह सभी बाल हित के लिए बनाई गई संस्थाएं हैं जो ऐसे बच्चों को रेस्क्यू कर उनकी काउंसलिंग करती है, लेकिन इन संस्थाओं का ध्यान सिर्फ चाइल्ड लेबर की ओर है. चौक-चौराहे पर भीख मांगते बच्चे सभी को नजर आते हैं, लेकिन इनकी और कोई ध्यान नहीं देता. शहर में ज्यादातर बच्चे नशे का शिकार हो चुके हैं और जो बचे हैं इन्हें देख कर वो भी नशा करने की सोचते हैं.
ये पढ़ें-नशे में 'उड़ता बचपन', बच्चों की ऐसी नशे की लत देख दंग रह जाएंगे आप