नूंह: हरियाणा के नूंह जिले की 1 लाख 65 हजार एकड़ भूमि में गेहूं की फसल सबको अपनी और आकर्षित कर रही है. खेतों में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई दे रही है. इलाके में बढ़ी ठंड और कोहरा गेहूं की फसल के लिए काफी कारगर (Benefits of wheat crop in winter) माना जा रहा है. हरियाणा में इस बार सर्दी का सितर देखा जा रहा है जिससे गेहूं की बंपर पैदावार की संभावना जताई जा रही है.
खास बात यह है कि तकरीबन 10 हजार एकड़ भूमि में देसी गेहूं की बिजाई इस बार की गई है. देसी गेहूं का ना केवल पौधा आम गेहूं की किस्मों के मुकाबले ज्यादा बढ़ता है बल्कि उसका भूसा भी मुलायम और चमकदार होता है. साथ ही देसी गेहूं की रोटी चमकदार और मुलायम होती है, इसलिए इस इलाके के गेहूं की एनसीआर में बड़ी मांग है.
सबसे खास बात यह है की अरावली पर्वत से बरसात का पानी बहकर प्राकृतिक झीलों में आकर ठहरता है और झीलों का पानी जैसे-जैसे सूखता जाता है तो किसान उसी क्षेत्र में बिना सिंचाई के देसी गेहूं की बिजाई कर देते हैं. इस फसल में खाद की भी कोई आवश्यकता नहीं है. अरावली पर्वत से लेकर आने वाले खनिज लवण में इतनी ताकत होती है कि इस फसल को खाद की आवश्यकता नहीं होती. इस बार घना कोहरा होने के कारण फसल (fog beneficial for crops in haryana) को काफी फायदा हुआ है.
जिले के चंदैनी, रिठौडा बदरपुर आकेड़ा, मालब इत्यादि ऐसे गांव हैं, जहां सैकड़ों एकड़ भूमि में देसी गेहूं की खेती किसान लंबे समय से करता रहा है. आम गेहूं की किस्मों के मुकाबले बाजार में देसी गेहूं के दाम भी अच्छे मिलते हैं. इस किस्म को खरीददार हाथों-हाथ खरीद लेते हैं. जिससे किसानों को काफी फायदा होता है. ये गेहूं खाने में भी बहुत स्वादिष्ट हौता है और बिना खाद की देसी गेहूं की फसल एनसीआर के शहरों तक सप्लाई की जाती है. (Wheat crop in Nuh )