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मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी ने दो दिवसीय नेशनल सेमिनार का किया आयोजन, NCERT ने शुरू की नई पहल - hindi news

मुख्य अतिथि प्रोफेसर सिराज अनवर ने बताया कि एनसीईआरटी पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक की किताबें उर्दू में भी प्रकाशित कर रही है. एनसीईआरटी तीन तरह की किताबों की छपाई कर रही है हिंदी, इंग्लिश और उर्दू.

समारोह के दौरान मौजूद मुख्य अतिथि.

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Published : Feb 18, 2019, 9:28 PM IST

नूंह : नेशनल काउंसलिंग फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज द्वारा जिला मुख्यालय के रीजनल सेंटर में दो दिवसीय नेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया. ये आयोजन मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी द्वारा वक्फ बोर्ड के इंजीनियरिंग कॉलेज पल्ला में करवाया गया है.

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इस कार्यक्रम में एनसीईआरटी नई दिल्ली से प्रोफेसर सिराज अनवर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे. इनके अलावा मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन दरभंगा से प्रोफेसर फैज अहमद और मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी मॉडल स्कूल हैदराबाद के डॉक्टर कफील अहमद ने भी इस सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे और अपना अनुभव सांझा किया.

मॉडर्न स्कूल के प्रिंसिपल अरशद खान ने बताया कि पूरे भारत में मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी के नाम से देशभर में तीन स्कूल चलाए जा रहे हैं. दरभंगा में हिंदुस्तान का पहला उर्दू मीडियम स्कूल है. इसके बाद दूसरा स्कूल हैदराबाद में खोला गया और तीसरा स्कूल मेवात जिले के मुख्यालय नूंह में खोला गया है. मेवात में ये स्कूल 2009 में खोला गया.

इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य ये है कि एग्जाम के समय टीचर व स्टूडेंट को काफी दिक्कतें आती हैं. कुछ ऐसी बुक्स होती हैं जो एग्जाम के समय बच्चों को नहीं मिल पाती हैं. इस सेमिनार का यही मकसद है कि इस विषय पर किस प्रकार से विचार-विमर्श किया जाए और इसलिए इस सेमिनार में एनसीईआरटी के प्रोफेसर को चीफ गेस्ट के रूप में आमंत्रित किया गया है.

उन्होंने बताया कि इस सेमिनार के जरिए यूनिवर्सिटी को भी रिपोर्ट पहुंचाई जाएगी, जिससे एग्जाम के समय उर्दू पढ़ने वाले बच्चों को आने वाली दिक्कतों का समाधान किया जा सकेगा.

मुख्य अतिथि प्रोफेसर सिराज अनवर ने बताया कि एनसीईआरटी पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक की किताबें उर्दू में भी प्रकाशित कर रही है. एनसीईआरटी तीन तरह की किताबों की छपाई कर रही है हिंदी, इंग्लिश और उर्दू.

उन्होंने कहा कि मुझे अफसोस है कि उर्दू की किताबें बच्चों को नहीं मिल पा रही है. उर्दू की किताबों के लिए दूर-दूर से डिमांड आ रही है. इस डिमांड को जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा.

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