नूंह: तीन दशक पहले नूंह जिले के पिनगवां में हुई हत्या और लूट की गुत्थी को पुलिस ने सुलझा लिया है. इस डकैती-हत्या के तीन आरोपी 33 साल बाद पुलिस के हत्थे चढ़े हैं. पुलिस ने अब इन तीनों आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है.
33 साल बाद गिरेबां तक पहुंची खाकी
घटना के समय कितने लोग इसमें शामिल थे? लूट का सामान आपस में कैसे बांटा था? कैसे वहां तक पहुंचे थे? कुल मिलाकर इस अपराध को करने के बाद अपराधी जवानी से बुढ़ापे की तरफ चले गए और खाकी भी लगभग इस केस को भूलती जा रही थी, लेकिन कहते हैं ना कानून के यहां देर है अंधेर नहीं. आखिरकार कानून के लंबे हाथ आरोपियों के गिरेबां तक पहुंच ही गए.
कानून के यहां देर है अंधेर नहीं: 33 साल बाद पुलिस के हत्थे चढ़े डकैती-हत्या के आरोपी इस मुकदमे में इससे पहले भी सुलेमान निवासी खिल्लुका और निजाम नाम के आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. जिनके कब्जे से पुलिस ने साढ़े 6 किलो चांदी 12 बोर राइफल की बरामदगी कर चुकी है. दोनों आरोपियों को उम्र कैद की सजा हो चुकी है.
160 किलो चांदी, 1 किलो सोनी की हुई थी लूट
आपको बता दें कि 33 साल पहले 30 अगस्त 1987 को नगीना मुख्य मार्ग पर पिनगवां में स्थित लाला स्वामी राम के मकान से सोने और चांदी के जेवरात की लूट हुई थी. इस लूट में 20-25 हथियारबंद डकैत शामिल थे. लूट में 160 किलो चांदी 1 किलो सोने के जेवरात के अलावा 1000 हजार रुपये लूटे गए थे और उसी दौरान बदमाशों ने स्वामी राम के पड़ोसी जगदीश पटेल की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
पुन्हाना डीएसपी विवेक चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 11 अक्टूबर को गुप्त सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच ने डकैती-हत्या से जुड़े आरोपी यासीन निवासी सुतारी, मंजूर अहमद निवासी सबदलपुर और बाबू निवासी काहिरा को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से गिरफ्तार किया है.
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गत 30 अक्टूबर 1987 को उपरोक्त मुकदमा में दो आरोपियों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से एक बंदूक 12 बोर कारतूस और दोनों के हिस्से में आए लूट के जेवरातों को पुलिस ने बरामद किया था. मुकदमा में अन्य अपराधियों के फरार होने पर गत 6 जनवरी 1988 को अनिता चौधरी जेएमआईसी गुरुग्राम की अदालत ने सभी अन्य आरोपियों को अपराधी घोषित किया था.
33 साल बाद कैसे पहुंची खाकी?
नूंह पुलिस ने 33 साल बाद डकैती के राज को सबके सामने ला दिया है. डकैती के कई आरोपी सूची में शामिल हैं. जो अन्य जिलों या राज्य के हैं. मुखबिर की सूचना पर तलाश करते-करते उम्र के आखिरी पड़ाव में चल रहे आरोपियों के गिरेबान तक खाकी पहुंच गई. जिसके अब चलना फिरना भी बस की बात नहीं है, अब उन्हें बाकी की उम्र शायद जेल में ही बितानी पड़ेगी.
इन आरोपियों के कई साथी डकैत तो मर चुके हैं, लेकिन जो बचे हैं, उनकी खोजबीन जारी है. 33 साल पहले इतनी बड़ी तादाद में चांदी-सोने के आभूषण स्वामी राम के पास कहां से आए? खाकी को इसकी कोई जानकारी फिलहाल नहीं है.