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Ramadan 2022: आज से रमजान का पाक महीना शुरू, जानें इस पवित्र माह से जुड़ी तमाम बातें

रमजान का पवित्र महीना शुरू (holy month of Ramzan) हो गया है. पूरे महीने में लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं. रमजान को इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना माना जाता है. इस पूरे महीने मुसलमान सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के पहले अन्न पानी ग्रहण नहीं करते.

Ramadan 2022
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Published : Apr 3, 2022, 5:05 PM IST

नूंह:हर साल, दुनिया भर के मुसलमान रमजान के पवित्र महीने (holy month of Ramzan) को मनाते हैं. रमजान का यह महीना चांद को देखकर निर्धारित किया जाता है. भारत में रमजान का चांद शनिवार रात 2 अप्रैल को दिखाई दिया, इसलिए आज यानी 3 अप्रैल रविवार से रमजान शुरू हुआ है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ही रमजान का पवित्र महीना मनाया जाता है. चूंकि मुस्लिम कैलेंडर वर्ष ग्रेगोरियन कैलेंडर वर्ष से छोटा है, रमजान हर साल 10-12 दिन पहले शुरू होता है. इस इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार आज शाबान 1443 हिजरी का 29वां दिन है.

इस बार रमजान का पवित्र महीना गर्मी में पड़ रहा है. वहीं दिन का तापमान 38 को पार कर चुका है. इस मौसम के बावजूद इन कठिन परिस्थिति के बावजूद भी रोजेदारों के हौसले पर कोई फर्क दिखाई नहीं दे रहा है. मस्जिदों से लेकर बाजारों तक में रौनक देखने लायक है. बुजुर्ग, जवान, बच्चे सभी नमाज अदा करने के लिए जा रहे हैं. वहीं गृहिणी बाजार में जमकर खरीददारी कर रही हैं. इस माह की मान्यता यह है कि अल्लाह ने इसी महीने में दुनिया में कुरान शरीफ को उतारा था जिससे लोगों को इल्म और तहजीब की रोशनी मिली. इस पवित्र महीने में शैतान को कैद कर दिया जाता है और इंसान बुराइयों को त्याग कर अच्छे काम कर अपने खुदा को अपनी मगफिरत करवाने के लिए राजी करने का हर संभव प्रयास करता है.

बाजार में खरीदादरी करते लोग

यह महीना मोहब्बत और भाईचारे का संदेश देने वाले इस्लाम के सार-तत्व को भी जाहिर करता है. वहीं रमजान का महीना नबी पाक के मुताबिक गमख्वारी का महीना है. गरीबों, यतीमों की मदद और उनका ख्याल रखने का महीना है. खासतौर से हर मुसलमान के लिए तमाम इंसानियत का ख्याल रखना जरूरी है, लेकिन रमजान के महीने में सदका और खैरात बेहद जरूरी है. ऐसा माना जाता है कि जकात, सदका दिए बिना ईद की नमाज कुबूल नहीं होती है. रमजान में हर ईमान वाला तीस रोजे रखता है. रोजा न सिर्फ भूख और प्यास बल्कि हर निजी ख्वाहिश पर काबू करने की कवायद है. इससे मोमिन में न सिर्फ संयम और त्याग की भावना मजबूत होती है बल्कि वह गरीबों की भूख-प्यास की तकलीफ को भी करीब से महसूस कर पाता है.

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रमजान रखने वाले लोग मगरिब यानी सुबह 3 बजे उठ जाते हैं, उसके बाद खाना बनाते हैं, शहरी करते हैं और सुबह तकरीबन 5 बजे के बाद शाम को करीब 7 बजे 14 घंटे बाद रोजा इफ्तार करते हैं. रोजेदार रोजा इफ्तार करने के लिए फल व एक से एक लजीज व्यंजन बनाते हैं और शाम को रोजा (उपवास) खोलते हैं. रमजान के दौरान रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. इस महीने में मुसलमान इबादत करने के साथ-साथ जकात व खैरात का भी लोग उसी तरह ख्याल रखता है. कोई गरीब भूखा ना रहे इसका विशेष ख्याल रखा जाता है.

बाजारों में रौनक देखने लायक

मस्जिदों में भी रोजेदारों को रोजा इफ्तार करने के लिए घरों से एक से बढ़कर एक लजीज व्यंजन घरों में बनाकर मस्जिद में भेजे जाते हैं ताकि मस्जिद के इमाम सहित कोई भी राहगीर रोजा (उपवास) खोल सकें. एक महीने रोजा रखने के बाद ईद का चांद नजर आता है. उसे ईद कहा जाता है. मुस्लिम समुदाय इस पर्व को बड़े हर्षोल्लास से मनाता है. बता दें कि हरियाणा का नूंह जिला मुस्लिम बहुल्य क्षेत्र है. 70 फीसदी से अधिक मुस्लिम समाज के लोग इस इलाके में रहते हैं, इसलिए रमजान के महीने की तैयारियां अभी से शुरू हो चुकी हैं. रमजान के पवित्र महीने में रोजा और बुराइयों से कैसे बचना है इसके लिए मुस्लिम धर्मगुरु लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

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