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नूंह: सरकारी पाइप बेचने में शामिल चौकीदार गिरफ्तार, जेई सहित अन्य अधिकारी हुए अंडरग्राउंड - जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग का पाइप चुराने के मामले में पुलिस ने चौकीदार की गिरफ्तारी की है. पुलिस ने इस चौकीदार को शनिवार को गिरफ्तार किया और कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया है. बताया जा रहा है कि इस मामले में सरकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का नाम आ सकता है.

पाइप से भरा ट्रक

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Published : Jul 28, 2019, 10:52 PM IST

नूंह:जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग का पाइप कैंटर में भरकर बेचने वाले गिरोह के एक सदस्य चौकीदार को नूंह पुलिस ने दबोच लिया है. गिरफ्तार किये गए चौकीदार का नाम आबिद बताया जा रहा है. पुलिस ने वारदात का खुलासा करने के लिए उसे कोर्ट में पेश कर 5 दिन की रिमांड पर लिया है.

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जल्द किया जाएगा आरोपियों को गिरफ्तार
वारदात में इस्तेमाल होने वाले हाइड्रा को भी बरामद कर लिया गया है, लेकिन अभी सरकारी कर्मचारी गिरफ्त से बाहर हैं जिनकी गिरफ्तारी के लिए कार्यकारी अभियंता को लिखा जायेगा. नूंह पुलिस का दावा है कि हाइड्रा मालिक से लेकर एफआईआर में नामजद सहित जो लोग इस गिरोह से जुड़े हैं, उन्हें जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

जेई सहित कई अधिकारी हुए अंडर ग्राउंड
पुलिस की सख्ती से जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में हड़कंप है, तो नामजद जेई सहित बाकि आरोपी भूमिगत हो गए हैं. एसएचओ महेंद्र सिंह नूंह ने पत्रकारों को बताया कि शनिवार-रविवार छुट्टी का दिन होने की वजह से जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारी को पत्राचार नहीं किया गया. सोमवार को कार्यालय खुलते ही कार्यकारी अभियंता नूंह को संपर्क किया जायेगा. एसएचओ नूंह ने कहा कि किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जायेगा.

विभाग का पाइप बेचकर हो रहा बड़ा घोटाला!
बता दें कि नूंह जिले के लोगों के सूखे कंठ तक पानी पहुंचाने के नाम पर अधिकारी और कर्मचारी सहित कुछ लोग मिलकर विभाग के पाइपों को बेचकर विभाग को लाखों रुपये का चूना लगा रहे हैं. बीते सप्ताह पल्ला गांव में बने जनस्वास्थ्य विभाग के गोदाम से पाइप भरकर तावडू की तरफ जा रहे कैंटर को नूंह पुलिस रुकवाकर पूछताछ की, तो सच्चाई सामने आ गई.

जांच हुई तो बड़े घोटाले होंगे उजागर
एसएचओ के मुताबिक गाड़ी नंबर एचआर 69 सी-6041 सोनीपत के किसी व्यक्ति के नाम है. इसी गाड़ी में 176 पाइप लोड थे, जिनकी अनुमानित लागत करीब दस लाख रुपये बताई जा रही है. अब अगर गंभीरता से में जनस्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों की मुख्यमंत्री उड़नदस्ते से जांच कराई जाये, तो बड़े-बड़े घोटाले उजागर हो सकते हैं.

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