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कोरोना में कमाई ठप, ऑनलाइन के लिए स्मार्टफोन नहीं, मां-बाप ने बंद कर दी लड़कियों की पढ़ाई

हरियाणा में 36.61 फीसदी लड़कियों को प्राइमरी के बाद कई कारणों के चलते पढ़ाई करने से रोक दिया जाता है. वहीं इस बार उनकी पढ़ाई का सबसे बड़ा काल बना है कोरोना. कोरोना महामारी के कारण देश भर में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा है. जिसके चलते छात्राओं के ड्रॉपआउट आंकड़ों में बढ़ोतरी देखी गई है.

Girl Child education affected during coronavirus lockdown in haryana
बेटियों की शिक्षा का काल बना कोरोना

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Published : Aug 28, 2020, 4:50 PM IST

Updated : Aug 28, 2020, 5:18 PM IST

नूंहःकोरोना महामारी के कारण देश भर में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा है, लेकिन इस दौरान अगर कोई सबसे ज्यादा अगर प्रभावित हुआ है तो वे हैं लड़कियां. हरियाणा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी, लेकिन यहां आज भी बेटियां शिक्षा के मामले में काफी पीछे हैं. खासकर देश के सबसे पिछड़े जिले नूंह में. आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की 36.61 फीसदी लड़कियों को प्राइमरी के बाद पढ़ाई करने से रोक दिया जाता है और इस बार उनकी पढ़ाई का सबसे बड़ा काल बना है कोरोना.

फिरोजपुर झिरका में रहने वाले रोशन लाल बेहद गरीब हैं. दिन-भर मेहनत करने के बाद किसी तरह अपना और घरवालों का पेट भर पाते हैं. लॉकडाउन लगा तो उनका धंधा भी ठप हो गया. काम नहीं होने से अब घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. रोशन लाल के कुल 7 बच्चे हैं, जिनमें 5 बेटियां हैं. इनमें से सिर्फ दो बेटियां ही अभी पढ़ पा रही हैं, 10वीं क्लास में पढ़ने वाली बेटियों के लिए कोरोना बड़ी मुसीबत लेकर आया है.

बेटियों की शिक्षा का काल बना कोरोना, आर्थिक संकट से छूटी बच्चियों की पढ़ाई

कैसे होगी पढ़ाई?

कोरोना में पिता की आमदनी बंद हो गई तो उसका सीधा असर बेटियों की पढ़ाई पर पड़ा. रोशन लाल का कहना है कि उनके पास बेटियों को पढ़ाने के लिए न तो पैसे हैं और न ही उनकी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए फोन. ऐसे में अगर जल्द से जल्द स्कूल खुलेंगे तो ही उनकी बच्चियों की पढ़ाई संभव है.

अनलॉइन शिक्षा संभव नहीं!

सरकार ने लॉकडाउन के दौरान पढ़ाई के लिए ऑनलाइन पढ़ाई तो शुरू की, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई गरीबों के लिए कोढ़ में खाज साबित हो रही है. क्योंकि इससे स्मार्टफोन और इंटरनेट का खर्चा भी बढ़ गया. पांच बेटियों के पिता रोशन लाल के पास तो इतने पैसे भी नहीं है कि वो अपने बच्चों को अनलॉइन शिक्षा मुहैया करवा सके. रोशन लाल की बेटी सुषमा का कहना है कि उनके पिता के पास एक ही फोन था, और वो भी अब खराब हो चुका है. ऐसे में उनकी पढ़ाई काफी प्रभावित हो रही है.

देश में हर साल इतनी बच्चियों की शिक्षा होती है प्रभावित

क्या कहते हैं आंकड़े?

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, हर साल 16.88% लड़कियां आठवीं के बाद स्कूल छोड़ देती हैं. वहीं बात करें हरियाणा की तो कोरोना महामारी से पहले तक प्रदेश में करीब 97.06 फीसदी लड़कियां प्राइमरी स्तर तक पढ़ाई करती थी. हायर सेकेंडरी तक पहुंचते-पहुंचते लड़कियों की संख्या में 36.61 फीसदी की कमी देखी गई थी. सेकेंडरी एजुकेशन में एलीमेंट्री एजुकेशन की तुलना में लड़कियों की संख्या घटकर 86.73 फीसदी रह गई. कोरोना काल के दौरान इन आंकड़ों में और भी ज्यादा गिरावट देखी गई है.

प्रदेश में हर साल इतनी बच्चियों की शिक्षा होती है प्रभावित

सरकार के सामने चुनौती!

यूनेस्को ने भी कहा है कि कोरोना वायरस के बीच दुनियाभर में शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने से 154 करोड़ से अधिक छात्र प्रभावित हुए हैं. इनमें भी लड़कियों पर इसका सबसे अधिक असर पड़ा है. ऐसे में कोविड-19 के बाद की दुनिया में इस तरह की चुनौतियां मौजूद रहेंगी. चाहे स्कूल कितना ही बड़ा या छोटा हो. हालात ये हैं कि बेटियों की शिक्षा एक क्रांति के दौर से गुजर रही है. ऐसे में बेटियों की शिक्षा अब कोरोना काल में पहले से ज्यादा चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है.

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Last Updated : Aug 28, 2020, 5:18 PM IST

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