नूंह: बकरा पालन करने वाले किसानों व व्यापारियों को इस बार राहत भरी खबर मिल रही है. पिछले दो साल से कोरोना के चलते देश के बड़े शहरों की मंडियां खुल नहीं (Nuh market was closed in Corona) पाई थी. जिसके कारण किसान और व्यापारी अपने बकरे को सही दामों पर नहीं बेच पाए (traders happy opening market in Nuh) थे. इसलिए उन्हें इस व्यापार में काफी घाटा उठाना पड़ा था.
Nuh market open: कोरोना के बाद मंडी खुलने से बकरा पालकों में खुशी
नूंह में कोरोना का संकट टल चुका (Nuh market was closed in Corona) है और बकरीद का त्यौहार भी नजदीक है, इसलिए हरियाणा के मुस्लिम बाहुल्य जिले से बड़ी संख्या में बकरे पालन करने वाले किसान, व्यापारी इस बार अपने अलग-अलग नस्ल के बकरों को देश के बड़े शहरों में ले जाने की का रुख कर रहे हैं.
इस बार कोरोना का संकट टल चुका है और बकरीद का त्यौहार भी नजदीक (Bakrid preparations in Nuh) है, इसलिए हरियाणा के मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह से बड़ी संख्या में बकरे पालन करने वाले किसान, व्यापारी इस बार अपने अलग-अलग नस्ल के बकरों को देश के बड़े शहरों में ले जाने की का रुख कर रहे (Nuh market open) हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनके बकरों के खरीदार जरूर मिलेंगे और अच्छा भाव भी इस बार उन्हें जरूर मिलेगा ताकि पिछले कुछ सालों का घाटा इस बार कुछ हद तक दूर हो (Farmers happy opening market in Nuh) सके.
बता दें कि हरियाणा का नूंह जिला मुस्लिम बाहुल्य जिला है. इस जिले में हजारों लोग बकरा पालन का काम करते हैं. साल भर बकरों की पूरी सेवा करते हैं और उसके बाद उन्हें बकरीद के त्यौहार पर कुर्बानी के लिए बेच देते हैं. शहरों में इन अलग-अलग नस्ल के बकरों की भारी डिमांड होती है और वहां कुर्बानी करने के लिए स्लाटर हाउस भी होते हैं. इसलिए किसान व पशु व्यापारी इन बकरों को देश के बड़े शहरों की तरफ बकरीद से कुछ दिन पहले ही लेकर रवाना हो जाते हैं और उन्हें बेचने के बाद ही अपने घर वापस लौटते हैं. कुल मिलाकर बकरे पालन करने वाले लोगों के लिए इस बार अच्छी खबर है. उनके पास 30 किलो वजन से लेकर 60 किलोग्राम तक के अलग-अलग नस्ल के बकरे मौजूद हैं. इन बकरों को चना, गेहूं, पत्ती जैसी कई चीजें खिलाकर इनका पालन किया जाता है.