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हरियाणा में बन रहा है शाहीन बाग, 37 दिन से चल रहा है धरना - बड़काली चौक पर धरना नूंह

नूंह के बड़कली चौक पर सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में धरना 37 दिन बाद भी जारी है. खराब मौसम के बाद भी लोग धरना खत्म करने का नाम नहीं ले रहे हैं.

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CAA के विरोध में जारी बड़कली चौक के धरने का 37वां दिन

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Published : Mar 6, 2020, 5:31 PM IST

नूंह: मेवात विकास सभा और मेवात आरटीआई मंच के बैनर तले से 37वें दिन नूंह की राजधानी कहलाने वाले बड़कली चौक पर सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में धरना प्रदर्शन जारी रहा. खराब मौसम के बावजूद धरने पर दो-दो महिला-पुरुष भूख हड़ताल भी कर रहे हैं. वहीं एकदिवसीय भूख हड़ताल में रोजाना लोग बारी-बारी से बैठ रहे हैं.

अब तक कई कांग्रेसी नेता इस धरने को समर्थन दे चुके हैं. दिल्ली के शाहीन बाग की तरह प्रदर्शनकारी लोगों के साथ महिलाएं भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. धरने पर बैठके इतिहासकार सद्दीक अहमद मेव ने कहा कि हिंदू , मुसलमान सिख और इसाई को मिलकर इस कठिन घड़ी का सामना करना है.

नूंह: CAA के विरोध में जारी बड़कली चौक के धरने का 37वां दिन.

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'इतिहास में दर्ज होगा शाहीन बाग का नाम'

धरने पर बैठे लोगों ने कहा कि देश की मुस्लिम महिलाओं ने हमारे सोए हुए जमीर को जगा दिया है. सड़कों पर उतर कर उन्होंने संविधान को बचाने की पहल की है. शाहीन बाग में धरना दे रही सभी महिलाएं इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखी जाएंगी.

'सरकार अपने ही लोगों को कह रही घुसपैठी'

वहीं मेवात विकास के प्रधान सलामुद्दीन ने कहा कि एनआरसी के कारण असम के करीब 20 लाख लोग सूची से बाहर चले गए. उन्हें केंद्र सरकार घुसपैठिया कह रही है अगर पूरे मुल्क में एनआरसी लागू किया गया तो करोड़ों लोग एनआरसी की सूची से बाहर चले जाएंगे. सरकार अपने ही नागरिकों को घुसपैठिया कहेगी और उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया जाएगा.

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