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Wheat Farming In Haryana: हरियाणा में वैज्ञानिक तरीके से कैसे करें गेहूं की बिजाई, ये है बंपर उत्पादन देने वाली किस्म - Farmers in Haryana

Wheat Farming In Haryana हरियाणा में गेहूं बिजाई की शुरुआत हो गई है. प्रदेश में खेतों में किसानों की करीब 10 फीसदी धान ही कटाई करने के लिए बची है ऐसे में किसानों ने जोर शोर से गेहूं की बिजाई शुरू कर दी है. प्रदेश के किसान छींटा विधि और सुपर सीडर से गेहूं की बिजाई करते हैं. आइए जिला कृषि उपनिदेशक कुरुक्षेत्र डॉक्टर सुरेंद्र कुमार से जानते हैं वैज्ञानिक तरीके से गेहूं की बिजाई कैसे करें...(varieties of wheat in haryana Scientific method of wheat sowing Farmers in Haryana wheat early varieties)

Scientific method of wheat sowing Farmers in Haryana
हरियाणा में वैज्ञानिक तरीके से गेहूं की बिजाई

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 29, 2023, 9:21 AM IST

हरियाणा में वैज्ञानिक तरीके से गेहूं की बिजाई

कुरुक्षेत्र: हरियाणा में किसानों की धान कटाई 90 फीसदी हो चुकी है, जिसके चलते अब किसानों ने अपनी दूसरी फसल लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. हरियाणा में किसान दो मुख्य फसलें लगाते हैं धान और गेहूं. अब धान की कटाई हो चुकी है तो अब किसानों ने गेहूं बिजाई शुरू कर दी है. हरियाणा में गेहूं बिजाई 25 अक्टूबर से शुरू कर दी जाती है जो पूरे नवंबर की जाती है. वहीं, गन्ने वाले खेत में कुछ किसान 15 दिसंबर तक भी गेहूं की बिजाई करते हैं.

हरियाणा में गेहूं की बिजाई शुरू.

25 अक्टूबर से लेकर 20 नवंबर तक गेहूं बिजाई का उपयुक्त समय: जिला कृषि उपनिदेशक कुरुक्षेत्र डॉक्टर सुरेंद्र कुमार ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया कि अच्छा उत्पादन लेने के लिए गेहूं बिजाई का उपयुक्त समय 25 अक्टूबर से लेकर 20 नवंबर तक होता है. गेहूं बिजाई के समय किसान कुछ गलतियां कर देते हैं और उन्नत किस्म का चुनाव नहीं कर पाते जिसे उनके उत्पादन पर भारी प्रभाव पड़ता है. आइए हम आपको बताते हैं कि वैज्ञानिक तरीके से गेहूं की बिजाई कैसे करें और हरियाणा में कौन-कौन सी उन्नत किस्म लगाई जाती है.

गेहूं बिजाई का उपयुक्त समय 25 अक्टूबर से लेकर 20 नवंबर तक.

हरियाणा में बिजाई होने वाली गेहूं की उन्नत किस्म:डॉक्टर सुरेंद्र कुमार ने बताया कि किसानों की 10% धान ही कटाई करने के लिए बची है. इसके चलते अब किसानों ने अपनी दूसरी फसल गेहूं की बिजाई शुरू कर दी है. किसान कुछ गलतियां कर देते हैं, जिससे उनके उत्पादन पर भारी प्रभाव पड़ता है. वह नई-नई कंपनियों के बहकावे में आ जाते हैं, जिससे वह उन्नत किस्म का चुनाव नहीं कर पाते और पैदावार प्रभावित कर देते हैं. हरियाणा में लगने वाली मुख्य किस्म डब्ल्यू एच 725, डब्ल्यू एच 2967, डब्ल्यू एच 327, डब्लू एच 303, डब्लू एच 1105, पी बी डब्लू 550 और एचडी 3086 है. अगर किसान अपने खेत में इन किस्म बिजाई करते हैं तो वह प्रति एकड़ 22 से 26 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. यह ऐसी किस्म है जो पूरे नवंबर तक बिजी जा सकती है और अच्छा उत्पादन देती है. इसमें आगेती और पछेती दोनों किस्म के गुण होते हैं, जिसकी किसी भी समय बिजाई की जा सकती है. यह सभी किस्म तैयार होने में करीब 150 दिन लेती है.

हरियाणा में किसान 2तरीके से करते हैं गेहूं की बिजाई.

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सरकारी संस्थान या मान्यता प्राप्त बीज भंडार से लें बीज:डॉ. सुरेंद्र कुमार के अनुसार, किसान सही और उन्नत बीज का चुनाव भी कर लेते हैं, लेकिन फिर भी वह ऐसी गलती कर देते हैं जिसका हर्जाना उनको कम उत्पादन से भरना पड़ता है. क्योंकि मौजूदा समय में ऐसी बहुत सी कंपनियां या फार्म आ चुकी हैं जो गेहूं का बीज तैयार करती हैं. कुछ ऐसे बीज भंडार भी होते हैं जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं होते या जिनके द्वारा तैयार किये गए बीज के ऊपर रिसर्च नहीं की जाती है. वह वहां से खरीद लेते हैं और बाद में उसका अच्छा रिजल्ट नहीं आता, जिसे किसान को काफी नुकसान होता है. इसलिए किसान अपने जिले से सरकारी संस्थान या ऐसे बीज भंडार से बीज खरीदें, जहां पर उनको बीज का पक्का बिल काट कर दिया जाता है. मान्यता प्राप्त बीज भंडार से एक निर्धारित मूल्य पर बीज दिया जाता है, इसमें कोई भी धांधली नहीं कर सकता.

सरकारी संस्थान या मान्यता प्राप्त बीज भंडार से लें बीज.

गेहूं बिजाई की विधि: हरियाणा में किसान दो प्रकार से गेहूं की बिजाई करते हैं. एक बजाई छींटा विधि से की जाती है और एक बजाई सुपर सीडर से की जाती है. छींटा विधि से किसान हाथों से गेहूं के बीज और खाद की बिजाई खेत में करते हैं, जो एक परंपरागत तरीके से बजाई होती है. वहीं, अब ज्यादातर किसान सुपर सीडर से गेहूं की बिजाई करने लगे हैं. इसमें गेहूं के बिजाई लाइन में होती है और इसमें मजदूर की आवश्यकता नहीं पड़ती. मशीन में ही खाद और बीज डाला जाता है और साथ ही इसमें फसल अवशेष प्रबंधन भी हो जाता है.

वैज्ञानिक तरीके से गेहूं की बिजाई.

सुपर सीडर से गेहूं की बिजाई से लाभ: इसका फायदा यह होता है कि किसानों की जो गेहूं की बिजाई लाइनों में होती है तो आने वाले समय में जब गेहूं की फसल बड़ी होती है तो उसके अंदर से आसानी से हवा गुजर जाती है. उसमें कीट और रोग लगने का खतरा कम रहता है. ज्यादातर किसान सुपर सीडर से ही गेहूं की बिजाई करते हैं और अच्छी पैदावार लेते हैं. वहीं, कुछ किसान खरपतवार पर नियंत्रण करने के लिए गेहूं की बिजाई के 72 घंटे के अंदर खरपतवार के लिए खेत में दवाई का छिड़काव भी करते हैं, जिससे समय रहते ही खरपतवार पर नियंत्रण किया जाता है. यह ऐसी खरपतवार नियंत्रण दवाई होती है जो खेत की मिट्टी पर की जाती है खरपतवार उगते हैं.

सुपर सीडर से गेहूं की बिजाई.

बीज व खाद की मात्रा: जिला कृषि उपनिदेशक ने बताया कि हरियाणा में 1 एकड़ खेत में बीज का एक बैग डाला जाता है, जिसका वजन 40 किलोग्राम होता है. वहीं बिजाई करते समय एक एकड़ खेत में एक डीएपी खाद का बैग डाला जाता है. अगर किसी किसान किसी कारणवश गेहूं बिजाई में देरी हो जाती है और सर्दी पड़नी शुरू हो जाती है तो किसान डीएपी खाद के साथ आधा या एक बैग यूरिया खाद भी डाल सकते हैं. जिसे गेहूं जल्दी अंकुरित हो जाती है. यूरिया खाद को काफी गर्म माना जाता है और उसकी गर्मी के चलते ही थोड़ी सर्दी होने पर गेहूं के बीज अंकुरित हो जाते हैं, इस प्रकार से बताए गए तरीकों से किसान गेहूं की अच्छी पैदावार ले सकते हैं.

हरियाणा में 1 एकड़ खेत में बीज का एक बैग डाला जाता है.

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