गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए खरपतवार नियंत्रण जरूरी, कृषि एक्सपर्ट से जानें कैसे पाएं 'गुल्ली डंडा' से छुटकारा कुरुक्षेत्र: धान कटाई के बाद अब हरियाणा के किसान गेहूं की बिजाई में जुटे हैं. जो किसान गेहूं की फसल की बिजाई कर चुके हैं. उनके माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रही हैं, क्योंकि उनकी गेहूं की फसल में मंडूसी (गुल्ली डंडा) नमक खरपतवार उगा है. जो गेहूं की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है. अगर समय रहते किसानों ने इसका प्रबंध ना किया, तो ये गेहूं की पैदावार पर 70 से 80% तक भी प्रभाव डाल देता है. गेहूं की फसल में मुख्य खरपतवार यही होता है. जिस पर कई-कई बार स्प्रे किया जाता है, लेकिन ये खरपतवार खत्म नहीं होता.
गुल्ली डंडा की पहचान कैसे करें? कुरुक्षेत्र कृषि विभाग के अधिकारी डॉक्टर शशी पाल गुण ने बताया कि किसानों के सामने एक बड़ी समस्या ये होती है कि वो गेहूं में उगने वाले मुख्य खरपतवार मंडूसी की पहचान नहीं कर पाते, इसका मुख्य कारण होता है कि वो गेहूं के पौधे से मिलता जुलता होता है. सिर्फ उसमें नाम मात्र ही फर्क होता है. उन्होंने कहा कि जैसे ही गेहूं की बिजाई की जाती है. इस समय मंडूसी खरपतवार भी गेहूं के पौधे के साथ उग जाता है. जो देखने में बिल्कुल गेहूं के पौधे के जैसे दिखाई देता है.
अगर किसान भाई इसकी पहचान करना चाहते हैं, तो वो अपनी गेहूं के पौधों की जड़ों को देखें, गेहूं की पौधे की जड़े मिट्टी के पास से सफेद रंग की होती है, जबकि मंडूसी खरपतवार की जड़ लाल रंग की होती है. ये लाल रंग वाले पौधे की पहचान करने के बाद अनुमान लगाएं कि उसके खेत में ऐसे कितने पौधे हैं. उस आधार पर कृषि विभाग के अधिकारी से संपर्क करके उसमें प्रबंधन के लिए खरपतवार दवाई का छिड़काव करें.
कैसे करें प्रबंधन: कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि किसानों की शिकायत आती है कि वो मंडूसी के लिए दो से तीन बार स्प्रे कर देते हैं, लेकिन उसके बावजूद भी मंडूसी खत्म नहीं होती. इसका मुख्य कारण ये है कि किसान इसका प्रबंधन सही से नहीं कर पाते. जिसके चलते उनको इस समस्या से जूझना पड़ता है. गेहूं बिजाई के 21 दिन पूरे होने के बाद ही गेहूं में पानी लगा दें और उसके 35 दिन होने से पहले ही खेत में मंडूसी या अन्य खरपतवार नियंत्रण करने के लिए उस पर दवाई का छिड़काव करें.
अक्सर देखने में मिलता है कि ज्यादातर किसान भाई 1 महीने की गेहूं हो जाने के बाद ही उसमें पानी देते हैं और करीब 40 दिन होने के बाद ही उस पर दवाई का छिड़काव करते हैं. छिड़काव करने में देरी होने के चलते पौधा बड़ा हो जाता है. जिसके चलते उसकी किसी भी दवाई से नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में गेहूं से खरपतवार का नियंत्रण करने के लिए 35 दिन से पहले ही उसमें खरपतवार दवाई का छिड़काव करें. ऐसा करने से नियंत्रित किया जा सकता है.
कौन सी दवाई का करें छिड़काव: कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि अपने खेत में निरीक्षण करने के बाद किसान भाई कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेकर गुल्ली डंडा खरपतवार पर नियंत्रण करने की दवाई चिन्हित करें और उसका छिड़काव करें या फिर 1 एकड़ खेत में सल्फोसल्फ्यूरॉन, मैटसल्फ्यूरान, पैंडीमैथालिन या पाइरोक्सासल्फोन नामक किसी भी एक दवाई का एक डिब्बा या एक पैकेट 200 लीटर पानी के घोल में मिलाकर खेत में छिड़काव करें. ऐसा करने से वो इस पर निमंत्रण कर सकते हैं. याद रहे कि पानी की मात्रा 200 लीटर से काम नहीं होनी चाहिए, क्योंकि खेत में जितना ज्यादा पानी लगेगा. पौधों में उतनी ही ज्यादा दवाई का असर होगा और खरपतवार पर नियंत्रण होगा.
फसल चक्र अपनाने से होगा मंडूसी का खात्मा: कृषि अधिकारी ने बताया अक्सर देखने में आता है कि किसान भाई हर वर्ष खेत में गेहूं की फसल की बिजाई करते हैं. जिसके चलते हर वर्ष मंडूसी खेत में गेहूं के साथ उग जाती है. अगर किसान भाई 1 साल गेहूं की खेती करने के बाद उसके बाद उस खेत में फसल चक्र अपनाएं और कभी उसमें पशुओं के लिए चारा तो कभी गन्ने की खेती करें. ऐसे में मंडूसी का असर कम हो जाता है.
कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि गुल्ली डंडा को गेहूं का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है. अगर समय रहते किसान भाई इस पर नियंत्रण ना करें, तो ये गेहूं की पैदावार को 70 से 80% तक प्रभावित कर देता है. ऐसे में किसान भाइयों को इस खरपतवार पर नियंत्रित करना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है. क्योंकि गेहूं की फसल में जो खाद डाला जाता है. उसकी मात्रा वो खरपतवार ले लेता है. जिससे गेहूं के पौधे को नुकसान होता है.