कुरुक्षेत्र: सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही जहन में पहली तस्वीर बदहाली की बनती है. टूटी हुई इमारत, गंदे टॉयलेट्स और असुविधाओं का अंबार, अक्सर ऐसा ही कुछ सुनने को मिलता है सरकारी स्कूल के बारे में. लेकिन आज जिस सरकारी स्कूल के बारे में हम बात कर रहे हैं उसे देखकर शायद सरकारी स्कूलों को लेकर आपकी सोच भी बदल जाए. हम बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र के मूर्तजापुर गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की. ये स्कूल सिर्फ सुविधाओं ही नहीं बल्कि शिक्षा और खेलों में भी प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है.
आदर्श सरकारी स्कूल
स्कूल की दीवारों पर साइंस और गणित के फॉर्मूले लिखे गए हैं. सूबे का कौन सा जिला कब बना इसे लिखा गया है. सामान्य ज्ञान को भी दीवारों पर पेंटिंग के जरिए समझाया गया है ताकि बच्चे खेल-खेल में भी इन्हें सीख सकें. इतना ही नहीं स्कूल की दीवारों पर शहीद और उन खिलाड़ियों के नाम भी हैं जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है. स्कूल में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया गया है. ताकि बारिश के पानी को बचाया जा सके.
स्कूल में बने टॉयलेट किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं हैं. इन सुविधाओं के देखते हुए सिर्फ अभिभावक ही नहीं बल्कि स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर्स भी अपने बच्चों को इसकी स्कूल में पढ़ाने का फैसला कर चुके हैं. आज से तीन साल पहले इस स्कूल में 250 के करीब बच्चे थे. जिनकी संख्या अब बढ़कर 350 तक हो चुकी हैं. क्योंकि अभिभावक अब अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर उनका दाखिला इसी सरकारी स्कूल में करवा रहे हैं.