करनाल: किसानों के लिए हरियाणा के साथ-साथ केंद्र सरकार की तरफ से भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं ताकि किसान उसका लाभ उठाकर खेती को नया आयाम दे सकें. परंपरागत तरीके से खेती करने में किसानों को काफी नुकसान होता है, इसलिए सरकार जोर दे रही है कि किसान तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए सरकार की नवीनतम योजनाओं का फायदा उठायें. सरकार की ओर से ऐसी ही, पीएम कुसुम योजना (Pm Kusum Scheme) चलाई जा रही है. इस योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा पंप पर जबरदस्त अनुदान दिया जा रहा है.
सोलर पंप पर किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान-पीएम कुसुम योजना के तहत सरकार 75 प्रतिशत का अनुदान देती है. यानि किसान केवल 25 प्रतिशत राशि का भुगतान कर योजना का लाभ उठा सकते हैं. सोलर पंप लगने से किसानों को फसलों की सिंचाई करने के लिए बिजली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. इसके अलावा सौर ऊर्चा को अपनाने से किसान का बिजली बिल और डीजल का खर्च भी बचेगा, जिसके चलते फसल पर लागत कम आयेगी और उसकी आमदनी बढ़ेगी.
हरियाणा में सौर ऊर्चा पंप योजना पर 75 प्रतिशत अनुदान मिल रहा है. 2 लाख से अधिक सोलर जल पंप लगाने का है लक्ष्य- हरियाणा सरकार का प्रदेशभर में साल 2026 तक 2 लाख से अधिक सौर ऊर्चा पंप सेट लगाने तथा इस वित्त वर्ष में अतिरिक्त 70 हजार सौर जल पंप सेट लगाने का लक्ष्य है. इस योजना के तहत अब तक प्रदेश के किसानों को 50 हजार 230 सौर जल पंप उपलब्ध करवाने वाला हरियाणा देश का अग्रणी राज्य बन गया है. किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा हरियाणा में माइक्रो इरिगेशन पर भी पूरा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
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पीएम कुसुम योजना क्या है-पीएम कुसुम योजना केंद्र सरकार का अभियान है.सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है. इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को अनुदान प्रदान किया जा रहा है. इन योजनाओं का लक्ष्य है फसलों पर आने वाली लागत को कम करके उत्पाद को बढ़ाया जाए ताकि किसान को फायदा मिल सके. प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान योजना यानि पीएम कुसुम योजना भी इसी मुहिम का हिस्सा है. इस योजना के तहत किसानों की सिंचाई की जरूरतें पूरी करने के लिये 3 HP से 10 HP क्षमता के स्टैंडअलोन सौर ऊर्जा पंप लगाने पर 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है.
सोलर पंप से माइक्रो इरिगेशन को बढ़ावा मिलेगा. सोलर पंप से माइक्रो इरीगेशन का लक्ष्य-परंपरागत खेती से भूमिगत जल का बहुत ज्यादा दोहन हो रहा है. आवश्यकता से कहीं ज्यादा पानी बर्बाद हो जाता है.सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि सोलर पंप लगवाने के बाद किसान माइक्रो इरीगेशन विधि को अपनाएं ताकि गिरते हुए भू-जल स्तर को रोका जा सके. साथ ही फसलों में सीधा पानी लगाने से जो ज्यादा लागत होती है उसकी कटौती की जा सके. माइक्रो इरिगेशन से सिर्फ पौधे को पानी दिया जाता है. ऐसे में पूरे खेत को सींचने से पानी बर्बाद नहीं होगा.
सोलर पंप के लिए कैसे करें आवेदन-पीएम कुसुम योजनाका लाभ उठाने के लिए किसानों को कृषि विभाग के दफ्तर में अधिकारी से संपर्क करना होता है. जितनी एकड़ किसान के पास जमीन होती है, उस आधार पर उसको उतने एचपी का सोलर पंप लगवाने के लिए आवेदन करना होता है. उसमें कुछ डॉक्यूमेंट देने होते हैं, जैसे कि आधार कार्ड, अगर पहले ट्यूबवेल लगा है तो उसका बिजली बिल आदि. इसके बाद किसान को कनेक्शन दे दिया जाता है. जो किसान बागवानी कर रहे हैं उनको इस योजना में वरीयता दी जाती है.
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