करनाल: सीएम सिटी में लगातार पानी का स्तर गिरता जा रहा है. करनाल को भी डेंजर जोन में रखा गया है. जिले में जलदोहन को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम नहीं किया गया है. जल की महत्वता को समझते हुए हुए राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल में जल परियोजनाओं के अंतर्गत जल बचाओ के लिए तकनीकि उपाय विकसित किए हैं.
यदि 1/2 इंच व्यास का नल दिन में 16 घंटे बहता रहता है तो उससे तकरीबन 28 हजार 280 लीटर जल व्यर्थ होता है, जबकि पशुओं द्वारा इसका मात्रक 18-20 % इस्तेमाल में लाया जाता है. बाकी पानी व्यर्थ जाता है.
पानी को बचाने के लिए किसान पानी पिलाने के स्त्रोत को एक बॉल कार्क लगा कर नियंत्रित कर सकते हैं. पशु आवास को साफ एवं धोने के लिए किसान भाई कम से मोटाई की पाईप इस्तमाल करें. जितनी पाईप की मोटाई ज्यादा होती है पानी उतना ही ज्यादा व्यर्थ होता है. तेज प्रेशर से सफाई करने से पानी कम मात्रा में खर्च होता है.
कैसे बचाएं पानी
- जरूरत के हिसाब से पानी का प्रयोग करें.
- सुबह जरूरत से ज्यादा पानी से अपने घर के बार बनी सड़क ना धोएं.
- नहाने के लिए सीमित पानी का प्रयोग करें. व्यर्थ में सिर्फ शरीर को ठंडा करने के लिए पानी ना उडेलें.
- पीने का पानी मटका आदि में रखें. हर बार पीने के लिए एक गिसाल पानी के लिए समर या मोटर पंप चला कर पानी व्यर्थ ना करें.
- घर में पानी की टंकी या टोंटियों से पानी लीकेज ना होने दें.
- खेतों की सिंचाई रात या शाम के समय करें ऐसा करने से कम पानी खर्च होता है.
- पानी के लिए पतले पाइप का प्रयोग करें. इससे पानी प्रेशर से निकलता है. इससे पानी का व्यय कम होता है.
- घर से निकलने वाले पानी को कच्चे तालाबों या गड्ढों में जान दें. या फिर पेड़ पौधों की सिंचाई में प्रयोग करें.