करनाल:किसानों के खेतों में धान की फसल इन दिनों लहरा रही है. अच्छी फसल देखकर किसानों के चेहरे खिले हुए थे लेकिन इसी बीच धान की फसल में पत्ता लपेट सुंडी के प्रकोप ने उनकी नींद उड़ा दी है, जिससे किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है. अगर समय रहते सुंडी का प्रबंधन ना किया जाए तो इससे उनकी धान की फसल बर्बाद हो जाती है. सुंडी लगने से 50 प्रतिशत उत्पादन भी फसल से नहीं मिलता.
पत्ता लपेट सुंडी की पहचान- मौजूदा समय में मौसम में काफी नमी है और काफी उतार-चढ़ाव भी देखने को मिल रहा है. सुंडी का इलाज समय रहते नहीं हुआ तो ये पूरी फसल को अपनी चपेट में ले लेती है. सुंडी के असर से धान के पौधे सफेद रंग के हो जाते हैं और पत्तियां सूखने लग जाती हैं. पौधे के पत्ते आपस में चिपक जाते हैं, जिसको खोलकर देखने पर उसके अंदर से सुंडी निकलती है. यही सुंडी पत्ते को लपेट देती है और अंदर ही अंदर पौधे की पत्तियां खाती रहती है. नमी वाले मौसम में धान की फसल में पत्ता लपेट सुंडी का प्रकोप ज्यादा होता है. इसके चलते किसानों को चाहिए कि वह सुबह-शाम अपने खेतों का निरीक्षण करें, जिससे समय रहते सुंडी के प्रकोप से अपनी फसल को बचा सकें.
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सुंडी कैसी होती है- सुंडी हरे व भूरे सफेद रंग की होती हैं. धीरे-धीरे इसमें पूरा पौधा सूखने लग जाता है. पौधे पर सफेद रंग की धारियां बन जाती हैं. यह पौधे का हरा पदार्थ चूस लेती हैं. शुरू में यह खेत में कुछ ही पौधों पर होती हैं लेकिन अगर समय रहते इसकी रोकथाम ना की जाये तो ये पूरे खेत को प्रभावित कर देती है. धान के पौधे को पत्तियों से ही भोजन मिलता है, इसलिए पत्तियां सूख जाने पर पौधे को पूरा भोजन नहीं मिल पाता और पौधा सूखकर मर जाता है. इसलिए इसकी रोकथाम करना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है.
सुंडी की रोकथाम कैसे करें- कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर शीशपाल शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि मौसम में काफी उतार-चढ़ाव हो रहा है, इसी मौसम के चलते किसानों की धान की फसल में पत्ता लपेट सुंडी का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जिसके चलते किसानों को चाहिए कि वो समय-समय पर अपनी धान की फसल का निरीक्षण करते रहें. समय रहते इसकी पहचान करके इसका उपाय करें.