करनाल: दिल्ली हरियाणा पंजाब सहित आसपास के राज्यों में पिछले काफी दिनों से वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले करीब 8 से 10 वर्षों से नवंबर के महीने में वायु प्रदूषण एकदम से बढ़ जाता है जो आमजन के लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है. दरअसल एक ओर इस दौरान कई लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है तो वहीं आंखों की जलन. स्किन इंफेक्शन रोग इत्यादि कई प्रकार की बीमारियों शरीर में घर करने लगती है. वहीं, दूसरी ओर दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के चलते ही सियासत भी तेज हो जाती है. राजनीतिक जगत में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का दौर शुरू हो जाता है.
आम आदमी पार्टी का किसानों पर आरोप: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार हरियाणा और पंजाब के किसानों को इसका जिम्मेदार ठहरा रही है. पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार होने के चलते प्रदूषण का ठीकरा ज्यादातर हरियाणा के किसानों पर फोड़ रही है. इसी के चलते ईटीवी भारत ने हरियाणा के किसानों से बातचीत की और जाना कि क्या सच में हरियाणा के किसानों के द्वारा ही यह प्रदूषण फैलाया जा रहा है.
15 दिन पहले हो चुके धान फसल अवशेष नष्ट: किसानों का कहना है कि दिल्ली सरकार का हरियाणा के किसानों पर यह आरोप सरासर गलत है. इस समय में दिल्ली में प्रदूषण काफी बढ़ रहा है. आज से करीब 15 दिन पहले ही हरियाणा में मोटी धान की कटाई का सीजन खत्म हो चुका है. किसानों ने जिस भी धान फसल अवशेष का प्रबंधन किया, वह 15 दिन पहले हो चुका है. चाहे उसमें कुछ किसानों ने मजबूरी में आग लगानी पड़ती हो फिर अन्य तरीके से प्रबंध करना पड़ता हो.
₹10000 प्रति एकड़ जा रही बासमती धान की पराली: ईटीवी भारत से खास बातचीत में किसानों ने कहा कि अब तो किसानों की सिर्फ बासमती धान की कटाई ही बाकी है और उसकी पराली का प्रबंधन वह खुद करते हैं. क्योंकि बासमती धान की पराली चारे सहित अन्य कई कामों में काम आती है. किसानों का कहना वैसे भी कोई किसान उसमें आग क्यों लगाना चाहेगा, क्योंकि बासमती धान की पराली प्रति एकड़ ₹10000 तक बिक रही है. ऐसे में कौन ऐसा किसान है जो 2000 रुपए के लिए अपने 10000 की पराली में आग लगा देगा. आम आदमी पार्टी सरकार का यह आप किसानों पर बिल्कुल गलत है. यहां किसानों के द्वारा हरियाणा में मौजूदा समय में किसी भी प्रकार से प्रदूषण नहीं फैलाया जा रहा है.
फसल प्रबंधन पर सरकार की कृषि यंत्र देने की अच्छी पहल: किसानों का कहना है कि हरियाणा में जब फसल अवशेष प्रबंधन करने थे, उसके लिए सरकार के द्वारा प्रत्येक जिले में सैकड़ों की संख्या में किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र दिए गए हैं जिसके चलते वह अपनी फसल का प्रबंधन करते हैं. ऐसे में हरियाणा के किसानों को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराना सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि हरियाणा में जितनी संख्या में किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र दिए हुए हैं, इतनी ज्यादा मात्रा में शायद ही किसी अन्य राज्य में सरकार के द्वारा अनुदान पर कृषि यंत्र दिए हुए हो.