करनाल: हरियाणा और केंद्र सरकार ने पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई हैं. हरियाणा के पशुपालक बड़ी संख्या में इन योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं. ऐसे ही एक योजना है पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना. इस योजना के तहत किसान अपने पशुओं के ऊपर क्रेडिट कार्ड बनवा सकते हैं. करनाल पशुपालन विभाग के जिला अधिकारी डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि हरियाणा में पशुपालन हाल फिलहाल में कुछ कम हुआ है. क्योंकि पशुपालन के दौरान किसानों के सामने कई जोखिम होते हैं. इन जोखिमों से उबारने के लिए सरकार ने पशुपालकों के लिए इस योजना को लागू किया है.
क्या है पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना? पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत किसान अपने पशुओं की देखभाल और उनपर होने वाले खर्च के लिए बैंकों से ऋण ले सकते हैं, ताकि वो अच्छे से अपने पशुओं की देखभाल कर सकें. पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना में गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर और मुर्गी को रखा है. पशुओं की विभिन्न श्रेणियों और वित्तीय पैमाने की अवधि के अनुसार ही पशुपालकों को पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड के द्वारा ऋण दिया जाता है. इन श्रेणी में केवल 6 पशुओं को ही रखा गया है. जो पशुपालक इन 6 श्रेणी के पशु रखते हैं. वो इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.
कितनी होती है किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट? पशुधन किसान क्रेडिट के तहत कोई भी पशुपालक ₹1 लाख 60 हजार रुपये तक की लिमिट का क्रेडिट कार्ड बनवा सकता है. इसके लिए किसान को जमीन गिरवी रखने की जरूरत नहीं है. अगर कोई पशुपालक ज्यादा लिमिट का क्रेडिट कार्ड बनवाना चाहता है, तो उसे इस क्रेडिट कार्ड को बनवाने के लिए अपनी जमीन या कोई जमानत देने के लिए प्रतिबंध होना पड़ता है. ये डॉक्यूमेंट देकर पशुपालक को तय राशि से ज्यादा का क्रेडिट कार्ड दिया जाता है. पशुधन किसान क्रेडिट के तहत अधिक अधिकतम राशि ₹3 लाख तक दी जाती है.
कितने प्रतिशत ब्याज पर दिया जाता है पैसा: पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने वाले पशुपालकों को सालाना 7% ब्याज दर पर बैंक द्वारा ऋण दिया जाता है. इस राशि के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. यदि क्रेडिट कार्ड धारक समय पर किस्त का भुगतान करता है, तो उसे केंद्र सरकार की तरफ से तीन प्रतिशत ब्याज दर का अनुदान दिया जाता है. इस तरह पशुपालक को केवल 4% के हिसाब से ही ब्याज चुकाना होता है. जो भी किसान इस योजना का लाभ उठाता है. उसको साल में एक बार ऋण की पूरी राशि जमा करवाना अनिवार्य होता है, ताकि साल में एक बार ऋण की मात्रा शून्य हो सके.