करनालः कोरोना से जंग में 92 साल की बुजुर्ग विद्यावंती हौसले और सेवा की मिसाल कायम कर रही हैं. उम्र के इस पड़ाव पर शरीर साथ नहीं दे रहा है. छड़ी के सहारे लड़खड़ाते कदमों से चलती हैं. नजर भी कमजोर है. लेकिन सेवा भाव पत्थर से भी मजबूत है. महामारी के इस दौर में जब मानवता को जरूरत पड़ी तो विद्यावंती अपनी 76 साल पुरानी सिलाई मशीन लेकर मास्क बनाने में जुट गईं. परिवार के बाकी लोगों को अपने साथ लगाया और आज वो लोगों में फ्री में मास्क बांट रही हैं.
आजादी से पहले की सिलाई मशीन से बना रही मास्क
विद्यावंती के पास आजादी से पहले की सिलाई मशीन है. पुराने दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि वो अपने जमाने की नंबर वन टेलर रही हैं. सिलाई में इसी हुनर के चलते दूर-दूर तक लोग उन्हें जानते थे. 92 साल की इस उम्र में वो कई बड़ी त्रासदी देख चुकी हैं. पहले प्लेग, फिर देश का बंटवारा और अब कोरोना. लेकिन हर मुश्किल से निकलने का उनका जज्बा ही तो है, जो आज उन्हें कोरोना की इस जंग में आगे बढ़ा रहा है.
92 साल की बुजुर्ग 76 साल पुरानी सिलाई मशीन से बना रही है मास्क सैकड़ों लोगों को फ्री में बांट चुकी हैं मास्क
आज जब हरियाणा सरकार ने प्रदेश में हर किसी के लिए मास्क पहनना जरूरी कर दिया तो उन्होंने उन लोगों के लिए मास्क बनाने का फैसला किया जो इसे खरीद नहीं सकते. 15 दिन में सैकड़ों लोगों को फ्री में मास्क बांट चुकी हैं. इसके अलावा विद्यावंती अच्छा काम करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को आशीर्वाद भी दे रही हैं. उनका कहना है कि ये ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज फ्री में किया जा सकता है. बस हमें घर पर रहना चाहिए और लोगों से मिलने से बचना चाहिए.
विद्यावंती की प्रेरणा से देश सेवा में जुटा परिवार
विद्यावंती का परिवार हरियाणा के करनाल के सदर बाजार इलाके में रहता है. उनके साथ बेटा, बहू, पोते और पोतियां सब हैं. विद्यावंती के बेटे कृष्ण गोपाल वत्स आरएसएस के सेवा भारती की करण शाखा के अध्यक्ष हैं. उनका कहना है कि मां की प्रेरणा से हम लोग भी देश सेवा में कुछ योगदान देने की कोशिश कर रहे हैं.
उम्र के इस पड़ाव पर मानवता का ये जज्बा उम्मीद की एक किरण है. उम्मीद ये कि दौर कितना भी बुरा हो लेकिन उसे सहने और जीने का रास्ता हमारे पास ही है. अपनी जरूरतों में डूबे लोगों के लिए विद्यावंती एक मिसाल भी हैं.
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