कैथल: जिलें में निजी बस मालिकों ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि रोडवेज विभाग किलोमीटर स्कीम को लागू करने में टालम-टोल कर रहा है. वहीं निजी बस मालिको में सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा सरकार परिवहन विभाग द्वारा जून 2018 में 700 बसें हायर करने के लिए आनलाइन टेंडर निकाला था. जिसके दौरान विभाग द्वारा 02.07.2018 को टेंडर खोले गए, जिसमें 700 बसों में से 510 बसें आई थी. जिसमें कैथल डिपो के लिए नटराज बस सर्विस के नाम से 15 बसें भी थी. निविदाएं खुलने के बाद दिनांक 13.07.2018 को महानिदेशक राज्य परिवहन हरियाणा चंडीगढ़ के कार्यालय में नेगो शेसन मिटिंग की जिसमें सभी 510 बसों के रेट कम करके फाइनल रेट पर सहमति की गई थी. लेकिन करीब 2 महीने बाद दिनांक 19.09.2018 को महामहिम राज्यपाल के आदेश पर संबंधित महाप्रबंधक हरियाणा राज्य परिवहन के साथ पट्टा करार (Lease Agreement) हो हुआ था.
उन्होंने बताया कि संबंधित कानूनी कागजातों के करार की शर्तों के अनुसार 150 दिनों के अदर हमने कैथल डिपो की सभी 15 बसें तैयार करा ली और पूरे हरियाणा में लगभग 400 बस तैयार हो गई हैं. इसी दौरान दिनांक 16.10.2018 से 02.11.2018 तक लगभग 18 दिन राज्य परिवहन के कर्मचारियों द्वारा इस स्कीम के विरोध में हडताल की गई थी. साथ ही कर्मचारी नेताओं द्वारा झूठे व बेबुनियाद बयान दिए गए. इन्ही की तर्ज पर विपक्षी पार्टियों द्वारा भी झूठे व बेबुनियाद बयान दिए थे. राज्य परिवहन के कर्मचारियों की हड़ताल आदि के कारण विभाग द्वारा जनवरी 2019 तक तैयार हो चुकी लगभग 400 बसों की रजिस्ट्रेशन व संचालन प्रक्रिया को मौखिक तौर पर रोक दिया गया है.
बाकी बसों के लिए फिर से निकाला गया था ई-टेंडर
वहीं प्राप्त जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा बाकी 190 बसों के लिए फरवरी 2019 को ई-टेंडर निकाला गया था . जिसे 05.03.2019 को ओपन किया गया था, जिसमें न्यूनतम रेट 22 रुपये प्रति किमी था. जिसका कर्मचारी नेताओं व राजनैतिक पार्टियों द्वारा मुद्दा बनाया गया कि पहले व दूसरे सेंटर में 12 से 15 रुपये प्रति किमी का अंतर आया है.
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'पहले टेंडर में हुआ भ्रष्टाचार'
वहीं पहले टेंडर में विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोपी भी लगे हैं. लेकिन इस न्यूनतम रेट पर 190 बसों में से केवल 15 बसों के लिए 10 डिपो में टेंडर भरा गया था. जो जान-बुझकर पहले टेंडर को गलत साबित करने के लिए भरा गया था. इससे पता चलते है कि करार (Lease Agreement) के अनुसार 150 दिन का समय होने के बाद भी उनके द्वारा एक भी बस नहीं खरीदी गई. जिस कारण विभाग इनके पटा करार (Lense Agreement) दिनांक 17.12.2019 को रद्द कर दिए है.