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लॉकडाउनः 13 लाख में लिया था बेर का बाग, अब कौड़ियों के भाव भी नहीं बिक रही फसल

कोरोना वायरस के कहर से हर ओर बस तबाही ही दिख रही है. इसका असर ना सिर्फ जनजीवन पर पड़ा है बल्कि फल और सब्जियों के उत्पादन के बाद इसके व्यापार पर भी पड़ा है. जींद का प्रसिद्ध बेर भी कोरोना वायरस के कारण फल मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही है और खामियाजा भुगत रहे हैं, इसे ठेके पर लेने वाले व्यापारी.

raders unable to sell berry
बेर व्यापारी को लाखों का नुकसान

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Published : Apr 9, 2020, 10:50 AM IST

Updated : Apr 9, 2020, 11:05 AM IST

जींद: जिले में उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कांधला गांव निवासी जावेद ने शहर में हांसी ब्रांच नहर के पास बागवानी विभाग के 11 एकड़ बाग को 13 लाख रुपये में एक साल के ठेके पर लिया हुआ है. बाग में बेर पक कर गिर गए और अब सड़ रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह इसे बेचा नहीं जा पा रहा है. मार्केट बंद है और डिमांड ना होने के कारण दो रुपये किलो भी बेर नहीं बिक रहा है.

क्लिक कर देखें संवाददाता कुलदीप सिंह की रिपोर्ट.

बाग में ही बेर फेंकने को मजबूर

जावेद ने बताया कि पिछले पांच-छह साल इस बाग को ठेके पर ले रहा है. बेर की सप्लाई, चंडीगढ़, सहारनपुर, मेरठ समेत कई जगहों पर होती थी. स्थानीय मार्केट में भी खासी डिमांड थी. मंडी में 30 से 35 रुपये किलो बेर बिकता था. लेकिन अब मंडी में भी कोई नहीं खरीद रहा है. तीन दिन पहले बेर मंडी में लेकर गए थे, लेकिन वहां आढ़तियों ने लेने से मना कर दिया. मजबूरन बेर वापस लाकर बाग में फेंकना पड़ा. बेर के सीजन में चार से पांच लाख रुपये की आमदनी होती थी. लेकिन इस बार बेर तोड़ने पर आई लागत भी पूरी नहीं हो पाई. जावेद ने बताया कि पहले मौसम की मार पड़ी, जिससे फल भी कम आया.लेकिन फिर लॉकडाउन की वजह से मार्केट में बेर की डिमांड नहीं रही.

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सरकार से मदद की गुहार

जावेद ने कहा कि तीन से चार रुपये किलो बेर बिक रहा है. इसमें गाड़ी का किराया और लेबर का खर्च भी पूरा नहीं होगा. ऐसी परिस्थिति पहले कभी नहीं आई थी. जावेद ने कहा कि अब हमारी जमा पूंजी तक सरकार को टेंडर की किस्त में दे चुके हैं हमारे परिवार के लिए खाने के लाले पड़ गए हैं. जावेद ने चाहते हैं कि सरकार उनकी मदद करे. इसके लिए उन्होंने एक पत्र जिला उपायुक्त को भी लिखा है.

Last Updated : Apr 9, 2020, 11:05 AM IST

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