जींदः20 अप्रैल को प्रदेश में गेहूं खरीद का पहला दिन था. प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से लेकर तमाम अधिकारियों ने गेहूं खरीद को लेकर बड़े-बड़े दावे किए हैं. सरकार और प्रशासन से जुड़े सभी लोगों का कहना है कि मंडियों में पूरा इंतजाम है. किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी और सरकार किसानों का एक-एक दाना खरीदेगी इसी को लेकर ईटीवी भारत ने जींद की अनाज मंडी का रिएलिटी चेक किया तो सरकार के दावों की धज्जियां उड़ती मिली.
सरकार के दावों की खुली पोल
पहले दिन ही अनाज मंडी में किसानों का बुरा हाल देखने को मिला. किसान अपनी फसल को बेचने के लिए खरीदने वालों की बाट जोह रहे थे. लेकिन वहां उन्हें कोई खरीददार ही दिखाई नहीं दिया.
अनाज मंडी में दोपहर 2:00 बजे तक सिर्फ एक ही किसान की फसल खरीदी गई थी और कुछ किसान तो मंडी में फसल लेकर ही नहीं पहुंचे. लेकिन जो पहुंचे थे, हालात ने उन्हें रोने पर मजबूर कर दिया था. प्रशासन ने दावा किया था कि कोरोना के खतरे के मद्देनजर किसानों के वाहनों को सैनिटाइज करके ही मंडी में प्रवेश दिया जाएगा. लेकिन सभी दावे हवा-हवाई नजर आए.
एक किसान ने अपना दुखड़ा बताते हुए कहा कि मुझे कल रात 8:00 बजे फोन किया गया कि मेरी फसल कल खरीदी जाएगी. जैसे - तैसे आज सुबह कंबाइन वालों के हाथ पैर जोड़कर मैंने फसल निकलवाई. खेत में चल रही कंबाइन और मजदूरों को छोड़कर मंडी में फसल लेकर पहुंचा हूं. लेकिन 1 घंटे से इंतजार कर रहा हूं, यहां कोई पूछने वाला ही नहीं आया. हालत यह है कि यहां पानी तक की व्यवस्था नहीं है.
एक किसान सरकार की नई खरीद पॉलिसी को गलत बता रहा था. किसान का कहना था कि उन्हें पुराने तरीके से ही फसल बेचने दिया जाए. क्योंकि जरूरत के समय सरकार हमें नहीं मिलेगी आढ़ती ही हमें जरूरत पर पैसे उपलब्ध करवा सकते हैं. नई खरीद पॉलिसी से किसान परेशान होगा.