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जींद में गेहूं खरीद के पहले दिन खुली मंडी में इंतजामों की पोल

प्रदेश में गेहूं की खरीद शुरू होने के पहले ही दिन व्यवस्था की पोल खुलती दिखी. जींद मंडी में पहले दिन एक तो बहुत कम किसान आए और जो आए भी वो परेशान रहे. पढ़िए पूरी खबर...

Ground Report first day of wheat  Purchase
Ground Report first day of wheat Purchase

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Published : Apr 21, 2020, 2:14 PM IST

जींदः20 अप्रैल को प्रदेश में गेहूं खरीद का पहला दिन था. प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से लेकर तमाम अधिकारियों ने गेहूं खरीद को लेकर बड़े-बड़े दावे किए हैं. सरकार और प्रशासन से जुड़े सभी लोगों का कहना है कि मंडियों में पूरा इंतजाम है. किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी और सरकार किसानों का एक-एक दाना खरीदेगी इसी को लेकर ईटीवी भारत ने जींद की अनाज मंडी का रिएलिटी चेक किया तो सरकार के दावों की धज्जियां उड़ती मिली.

सरकार के दावों की खुली पोल

पहले दिन ही अनाज मंडी में किसानों का बुरा हाल देखने को मिला. किसान अपनी फसल को बेचने के लिए खरीदने वालों की बाट जोह रहे थे. लेकिन वहां उन्हें कोई खरीददार ही दिखाई नहीं दिया.

जींद में गेहूं खरीद के पहले दिन खुली मंडी में इंतजामों की पोल

अनाज मंडी में दोपहर 2:00 बजे तक सिर्फ एक ही किसान की फसल खरीदी गई थी और कुछ किसान तो मंडी में फसल लेकर ही नहीं पहुंचे. लेकिन जो पहुंचे थे, हालात ने उन्हें रोने पर मजबूर कर दिया था. प्रशासन ने दावा किया था कि कोरोना के खतरे के मद्देनजर किसानों के वाहनों को सैनिटाइज करके ही मंडी में प्रवेश दिया जाएगा. लेकिन सभी दावे हवा-हवाई नजर आए.

एक किसान ने अपना दुखड़ा बताते हुए कहा कि मुझे कल रात 8:00 बजे फोन किया गया कि मेरी फसल कल खरीदी जाएगी. जैसे - तैसे आज सुबह कंबाइन वालों के हाथ पैर जोड़कर मैंने फसल निकलवाई. खेत में चल रही कंबाइन और मजदूरों को छोड़कर मंडी में फसल लेकर पहुंचा हूं. लेकिन 1 घंटे से इंतजार कर रहा हूं, यहां कोई पूछने वाला ही नहीं आया. हालत यह है कि यहां पानी तक की व्यवस्था नहीं है.

एक किसान सरकार की नई खरीद पॉलिसी को गलत बता रहा था. किसान का कहना था कि उन्हें पुराने तरीके से ही फसल बेचने दिया जाए. क्योंकि जरूरत के समय सरकार हमें नहीं मिलेगी आढ़ती ही हमें जरूरत पर पैसे उपलब्ध करवा सकते हैं. नई खरीद पॉलिसी से किसान परेशान होगा.

मार्केट कमेटी की दलील

खरीद प्रक्रिया को लेकर मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी संजीव ने बताया कि 1 दिन में 35 किसानों को बुलाया जा रहा है. किसानों की शिकायत है कि उन्हें बहुत कम समय दिया जा रहा है. आगे से हम एक दिन पहले उन्हें फोन कर सूचित कर देंगे कि उनकी फसल अब खरीदी जाएगी.

वहीं पानी की व्यवस्था को लेकर सेक्रेटरी संजीव कुमार ने कहा कि हमने प्रशासन से अनुरोध किया था. लेकिन पानी की व्यवस्था की इजाजत नहीं मिली. प्रशासन ने कहा कि इस तरह से जब एक ही जगह पर ज्यादा किसान पानी पिएंगे या इकट्ठा होंगे तो कोरोना के संक्रमण का बड़ा खतरा है.

फसल बेचने की लिमिट को लेकर सेक्रेटरी ने बताया कि जो किसान मेरा फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्टर्ड है. उसके लिए कोई लिमिट तय नहीं गई है, वह अपनी सारी उपज मंडी में लेकर आ सकता है और उसकी सारी फसल खरीदी जाएगी. जींद में 12283 किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है.

जिले में इस बार रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद

जींद जिले में गेहूं खरीदने के लिए कुल 98 खरीद केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें से 35 स्थाई केंद्र हैं और 63 तथा अस्थाई रूप से तैयार किए गए हैं. जिले में गेहूं का उत्पादन हर साल लगभग 2 लाख 17 हजार हेक्टेयर में होता है. पिछले साल 2019 में जिले की मंडियों में 7 लाख 47 हजार मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई थी. लेकिन इस बार यह बढ़कर 8 लाख मीट्रिक टन पहुंचने की संभावना है.

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