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किसानों ने कहीं किया रोड जाम तो कहीं मंडियों में जड़ दिये ताले

हरियाणा सरकार धान खरीद को लेकर बड़े-बड़े वादे कर रही है. साथ ही मनोहर सरकार केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को लेकर बड़ी-बड़ी डींगें हांक रही है, लेकिन मंडियों में धान खरीद के जो हालात हैं. उससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है.

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हरियाणा की मंडियों में सरकार की कृषि कानूनों को लेकर दी गई डीगों पर फिरा पलीता

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Published : Sep 30, 2020, 10:17 PM IST

चंडीगढ़: नए कृषि कानून को केंद्र सरकार क्रांतिकारी बता रही है. बीजेपी का दावा है कि इस कानून के बाद किसानों के अच्छे दिन आ जाएंगे, लेकिन हरियाणा में अभी हालात जस के तस हैं. किसान अपनी फसल तक नहीं बेच पा रहे हैं. इसीलिए किसानों ने हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में धान की खरीद ना होने पर मंडियों के बाहर रोड जाम कर दिए. कई जगहों पर मंडियों में ताले जड़ दिए गए.

किसानों ने अंबाला-हिसार नेशनल हाइवे किया जाम

अंबाला जिले में जब मंडी में धान की खरीद शुरू नहीं हुई तो किसानों ने अंबाला-हिसार नेशनल हाइवे जाम कर दिया. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान किसानों ने धान की खरीद शुरू नहीं होने पर गुस्सा जताया. उन्होंने कहा कि ऐलान के बाद भी अब तक धान का एक दाना भी खरीदा नहीं गया है. इस दौरान किसानों ने डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि बड़ी-बड़ी बातें करने वाले दुष्यंत चौटाला अब कहां गए. किसानों ने अंबाला में साफ कहा कि जब तक सरकार धान की खरीद शुरू नहीं करती तब तक उनका धरना जारी रहेगा.

किसानों ने कहीं किया रोड जाम तो कहीं मंडियों में जड़ दिये ताले

पंचकूला में मंडी के गेट पर जड़ा ताला

धान खरीद शुरू ना होने से परेशान किसानों ने पंचकूला जिले की बरवाला और रायपुर रानी की अनाज मंडियों में ताला जड़ दिया. किसानों ने आरोप लगाया कि वो कई दिनों से अनाज मंडी में धान लेकर बैठे हैं लेकिन अभी तक उनका धान नहीं खरीदा गया है. जबकि खुद मंडी द्वारा उन्हें मैसेज करके बुलाया गया था और गेट पास दिया गया था बावजूद इसके किसानों का धान अभी तक खुले में पड़ा है.

करनाल में एजेंसियों ने नमीं बताकर रोकी खरीद

करनाल में किसानों के धान में नमी का तर्क देते हुए खरीद में आनाकानी कर रही खरीद एजेंसियों के खिलाफ किसानों ने मोर्चा खोल दिया. किसान मार्केट कमेटी के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. इस दौरान वहां मौजूद किसानों ने कहा कि असंध की अनाज मंडी में धान के ढेर लगे हुए हैं, लेकिन किसानों और सरकार के बीच चल रहे गतिरोध के चलते धान की खरीद नहीं हो रही. खरीद एजेंसियां 17 प्रतिशत नमी की धान खरीद करने पर अड़ी हैं, जबकि किसान 24 से 25 प्रतिशत नमी वाली धान को भी पूरे मोल में खरीदने की मांग कर रहे हैं. किसानों का तर्क है कि अगर धान में बिल्कुल नमीं नहीं होगी तो खेत में कटते वक्त ही झड़ जाएगी.

पानीपत में मंडी गेट पर आढ़ती किसानों ने जड़ा ताला

पानीपत की अनाज मंडी में किसानों ने मंडी गेट पर ताला जड़ दिया. किसानों का आरोप है कि वे 10-10 दिन से मंडी में पड़े हैं, लेकिन उनके धान की कोई खरीद नहीं कर रही है. ऐसे में किसान क्या करें? वहीं आड़तियों का कहना है कि सरकार ने अभी तक पीआर धान का कोई समाधान नहीं किया और ऊपर से कोई भी पर्चेजर भी नहीं आया. उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक हमें ये भी नहीं बताया कि किस शर्त पर धान खरीद होगी? सरकार हमारी आढ़त में से क्या काटेगी? पिछली बार सरकार ने हमारी मजदूरी काट ली थी, नमीं भी काट ली और ब्याज ली थी. उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमारे खाते में पैसे भेजेगी तो पीआर का कुछ समाधान करेंगे. इसके लिए सरकार को आढ़त और लिखित मंजूरी देनी होगी.

जींद मंडी में नहीं दिखा किसान आंदोलन का आसर

कृषि कानूनों को लेकर भारतीय किसान यूनियन के आंदोलन के चलते जींद अनाज मंडी में भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात रहा, लेकिन लेकिन चढूनी गुट के जींद जिले में सक्रिय ना होने के कारण यहां आंदोलन कोई बड़ा रूप नहीं ले पाया. रोहतक रोड स्थित नई अनाज मंडी में एफसीआई ने पीआर धान की एमएसपी पर खरीद की. बुधवार को नई अनाज मंडी में गांव कोथकलां कस किसान नरेंद्र श्योराण मार्केट कमेटी कार्यालय कर्मियों के कहने पर पीआर धान लेकर पहुंचा. जींद को-ऑपरेटिव मार्केटिंग कम प्रोसेसिंग सोसायटी के मंडी स्थित कार्यालय में एफसीआई के क्वालिटी कंट्रोलर ने पीआर धान की नमी चेक कर न्यूनतम समर्थन मूल्य 1888 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद की. मंडी में लगभग साढ़े 300 क्विंटल पीआर धान की सरकारी खरीद की गई.

हरियाणा में धान खरीद की प्रक्रिया

  • पहले किसान को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है.
  • फिर मंडी से किसान को मैसेज दिया जाता है कि उसे किस दिन धान लेकर मंडी आना है
  • इसके बाद किसान को गेट पास मिलता है. इसे किसान पोर्टल से भी डाउनलोड कर सकते हैं.
  • मंडी में जितनी जगह होती है उसी हिसाब से किसानों को फसल लेकर बुलाया जाता है.

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