झज्जर: राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बर्खास्त पीटीआई टीचरों के मामले में बड़ा बयान दिया है. दीपेंद्र ने कहा है कि अगर हरियाणा में आने वाले समय में कांग्रेस की सरकार बनी तो सभी बर्खास्त पीटीआई टीचरों को एक कलम से बहाल किया जाएगा.
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि 1983 बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों का ये मामला कांग्रेस आने वाले समये में हरियाणा विधानसभा में भी उठाएगी. दीपेंद्र के अनुसार इस मामले में पीटीआई अध्यापकों का कोई दोष नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर निर्दोष को सजा मिलती है, तो सरकार को अपने हाथ बढ़ाने चाहिए, लेकिन हरियाणा में ऐसा नहीं हो रहा है.
दीपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा सरकार से अपील करते हुए कहा कि बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों को तुरंत बहाल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इनको बहाल करने के लिए सरकार विधेयक लेकर आए. उन्होंने कहा कि जिन भी अध्यापकों की एसीआर रिपोर्ट अच्छी रही है उसी आधार पर उन्हें बहाल किया जाना चाहिए.
ये है पूरा मामला
साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है.
आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ ये भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.
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इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.
इसके बाद से ही पीटीआई टीचर लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं. बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.