गुरुग्रामःसावन का महीना आते ही बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए तैयारियां शुरु कर देती हैं. इस पर्व का ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक और राष्टीय महत्व है. इसे श्रावण पूर्णिमा के दिन उत्साह पूर्वक मनाया जाता है. भाई को इस बार कैसी राखी बांधनी है. कौन-से रंग की राखी लेनी है. लाइट वाली, गुड्डे वाली या रेशमी. बहनें इसकी तैयारी हफ्तों पहले से शुरु कर देती हैं. लेकिन रक्षाबंधन पर इस साल बाजार की त्योहारी रौनक कोरोना की भेंट चढ़ चुकी है. पहले जहां बाजार रंग-बिरंगी राखियों से सज जाता था तो वहीं इस बार बाजार से रौनक गायब है.
बाजारों से गायब रौनक
भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन त्यौहार पर इस बार कोरोना महामारी का असर साफ दिखाई दे रहा है. रक्षाबंधन के त्यौहार में सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन बाजार में रौनक नहीं दिख रही है. पिछले साल तक राखी के मौके पर महीने भर पहले रंग-बिरंगी राखियों में बाजार सज जाता था, लेकिन इस बार बाजार में कोई रौनक नहीं दिख रही है. इसकी एक बड़ी वजह चाइना से बंद आयात भी है.
चीनी राखी का बहिष्कार
यूं तो सभी त्यौहारों पर कोरोना का असर पड़ा है. लेकिन राखी पर कोरोना के अलावा भारत-चीन विवाद का भी असर साफ देखा जा सकता है. क्योंकि राखियों का व्यापार चीन से काफी होता था जो इस बार कम हो गया है क्योंकि चीन विवाद के चलते देश के लोग चीनी राखी नहीं खरीदना चाहते. दुकानदार भी इस बार चाइनीज राखी से बच रहे हैं.
'चीन को पछाड़ना है'
गुरुग्राम में राखी विक्रेताओं का कहना है कि वो इस बार चाइनीज राखियां नहीं बेच रहे हैं. उनका कहना है कि वो भारतीय राखियों को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि हर क्षेत्र में स्वदेशी सामानों का आगे ले जाया जा सके और चीन को पछाड़ा जा सके. यही वजह है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल चाइनीज राखी की डिमांड में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है.