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फरीदाबाद की मंडियों में धक्के खाने को मजबूर किसान! देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

सरकार किसानों की आय दो गुनी करने के तमाम बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कोसों दूर है. एमएसपी तय होने के बाद भी बल्लभगढ़ की अनाज मंडी में किसानों को प्राइवेट खरीददार लूटने में लगे हैं.

farmer did not get msp of cotton in ballabhgarh grain market
MSP के बाद भी मंडियों में धक्के खाने को मजबूर किसान, देखें वीडियो

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Published : Oct 10, 2020, 7:30 PM IST

Updated : Oct 10, 2020, 8:08 PM IST

फरीदाबाद:केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के दावे कर रही है, इसी को देखते हुए सरकार कृषि कानून लेकर आई है. जिसका लगातार विरोध हो रहा है. बाबजूद इसके सरकार के नुमाइंदे लगातार किसान को जागरुक करने में लगे हैं. सरकार के दावों-वादों के बीच किसान की आय कितनी बढ़ी? ये आज भी सवाल बना हुआ है. क्योंकि किसान की हर फसल घाटे का सौदा साबित होती जा रही है. एमएसपी होने के बाद भी मंडी में किसान को कपास का सही रेट नहीं मिल रहा और फायदा प्राइवेट खरीददार उठा रहे हैं.

किसान को लूटने में लगे प्राइवेट खरीददार

एक ओर किसान धान के घाटे से अभी उभरा नहीं कि अब कपास में चपत लगना शुरू हो गई. कपास की फसल भी किसानों को उचित रेट नहीं मिल रहा, किसान को 600 रुपये प्रति क्विंटल तक कपास को कम दाम में बेचना पड़ रहा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि फरीदाबाद में अभी तक भारतीय कपास निगम लिमिटेड ने कपास की खरीद शुरू नहीं की. जिस कारण किसानों को कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा और सरकार की इसी लापरवाही के कारण निजी खरीदार किसानों को दोनों हाथों से लूटने में लग गए हैं और बेबस किसान घर चलाने के लिए कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर हैं.

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किसानों को नहीं मिल रहा एमएसपी रेट

भारतीय कपास निगम लिमिटेड का कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य अलग-अलग है. भारतीय कपास निगम लिमिटेड दो तरह की कपास खरीदती है. जिसमें मीडियम रेशे वाली कपास और लंबे रेशे वाली कपास शामिल है. हरियाणा में दोनों ही प्रकार की कपास की खेती होती है. मीडियम रेशे वाली कपास की एमएसपी 5515 प्रति क्विंटल और लंबे रेशे वाली कपास 5825 प्रतिक्विंटल है, लेकिन किसानों को ये रेट भी नहीं मिल रहा. क्योंकि भारतीय कपास निगम लिमिटेड ने सिर्फ रेट दिया खरीद नहीं कर रही. जब इस पर मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी ऋषि पाल से बात की तो उन्होंने सरकारी खरीद से साफ इंकार कर दिया.

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MSP से भी 600 रुपये सस्ता मिल रहा रेट

मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी ऋषि पाल का कहना है कि भारतीय कपास निगम लिमिटेड के द्वारा बल्लभगढ़ की मंडी में कपास की खरीद नहीं की जाती. प्राइवेट खरीददार ही कपास को खरीदते हैं और किसान की कपास की वैरायटी के हिसाब से कपास को खरीदा जाता है. मार्केट कमेटी की इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं है.

Last Updated : Oct 10, 2020, 8:08 PM IST

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