फरीदाबाद:छठ महापर्व को लेकर उत्तर भारत में उत्साह का माहौल है. हरियाणा में भी इस पर्व को उत्साह के साथ मनाया जाता है. कहा जाता है कि यह पर्व बहुत फलदायक होता है और जो भी छठी मैया से मांगते हैं, छठी मैया उसे जरूर पूरा करती हैं. छठ महापर्व दो तरह के होते हैं, पहला कार्तिक छठ और दूसरा चैती छठ. खास तौर पर पूर्वांचल इलाकों में मनाने वाला यह महापर्व अब पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा है.
छठ पूजा में उगते सूर्य और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ पर्व का व्रत सबसे कठोर व्रत माना जाता है क्योंकि 3 दिन तक छठ व्रत करने वाली महिलाएं ना पानी पीती हैं और ना अन्न ग्रहण करती हैं. यानी यह व्रत निर्जला किया जाता है. चैती छठ महापर्व की शुरुआत चैत्र शुक्ल चतुर्थी के शुभ तिथि को नहाए खाए से शुरू होती है. छठ व्रत करने वाली महिलाएं शाम को नहाकर (नहाए खाए) पूजा करती हैं.
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छठ महापर्व का संकल्प: महिलाएं स्नान करके कच्चा चावल, कद्दू की सब्जी, चने की दाल, आदि ग्रहण करके छठ महापर्व का संकल्प लेती है. इसके बाद अगले दिन से व्रत शुरु कर देती हैं. इसके अगले दिन शाम को डूबते हुए सूर्य को पानी में खड़े होकर (अर्घ्य) पूजा करती हैं और फिर अगले दिन सुबह पानी में खड़े होकर सूर्य देवता को अर्घ्य देती हैं और इसी के साथ छठ महापर्व का समापन भी होता है. आपको बता दें कि आज से यानी 25 मार्च को नहाए खाए हैं. कल यानी 26 मार्च को महिलाएं व्रत रखेंगी और 27 और 28 मार्च को यह महापर्व मनाया जाएगा.