फरीदाबाद:हालात भले ही कितने खराब क्यों न हो जाए, अगर इंसान अपने मन में उन हालातों को ठीक करने की ठान ले तो हर मुश्किल पर जीत हासिल की जा सकती है. आज के दौर में छोटी-छोटी समस्याओं से परेशान होकर लोग गलत कदम उठा लेते हैं, लेकिन फरीदाबाद की 22 वर्षीय पार्वती उन लोगों के लिए एक उदाहरण हैं, जो संघर्ष किए बिना ही तकलीफों के आगे घुटने टेक देते हैं.
पार्वती ने बहुत छोटी-सी उम्र में जिंदगी के तमाम दुख (Faridabad Auto Girl) झेले हैं. घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से सिर्फ पांचवी कक्षा तक पढ़ाई कर पाई. घर के चारों बच्चों में सबसे बड़ी बेटी होने के चलते तमाम हालातों से समझौता करना पड़ा. जब 20 साल की हुई तो शादी कर दी गई. शादी के बाद पार्वती को लगा अब सही होगा, लेकिन पति शराबी निकला. मारपीट और गाली-गलौज से परेशान हो चुकी पार्वती अपने आठ महीने के बेटे के साथ दोबारा अपने मां-बाप के घर आ गई.
कहते हैं ना मुसीबत कभी अकेले नहीं आती. पार्वती अपने घर पहुंची तो वहां हलात पहले से ज्यादा बुरे थे. मां बीमार और पिता अपने पैरों पर चल नहीं सकते थे. घर में कोई कमाने वाला नहीं था, ऐसे में पार्वती ने ठाना कि वो कमाएगी और घर चलाएगी. शुरुआत में करीब सात हजार रुपये की तनख्वाह पर पार्वती ने एक कंपनी में काम किया, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन लगा पार्वती की नौकरी भी चली गई. लॉकडाउन खुलने के बाद पार्वती ने खुद ऑटो चलाने का मन बनाया और किराए का ऑटो लेकर सड़कों पर उतर पड़ी.
पार्वती ऑटो के लिए रोजाना 350 रुपये किराए के देती हैं और बाकी बचे पैसों से वह अपना घर चलाती हैं. पार्वती बताती हैं कि 800 से 900 रुपये तक की कमाई उनकी रोजाना सवारियां ढोने से हो जाती है. वह बदरपुर बॉर्डर से लेकर बल्लभगढ़ से पलवल तक के लिए सवारियां लेती हैं. पार्वती अपने ऑटो में ज्यादातर महिलाओं को बैठाकर ही सफर करती हैं. पार्वती का कहना है कि महिलाओं और बुजुर्गों के साथ चलने से वो खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं.