चंडीगढ़ः प्रदेश में बढ़ते ग्लूकोमा के मरीजों पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक मुहिम शुरू की है. इस मुहिम के तहत इस बीमारी के मरीजों को विशेष अभियानों के तहत जागरूक किया जाएगा.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पीजीआई में पिछले 10 सालों में ग्लूकोमा के मरीजों की तादाद 3 गुना बढ़ गई है. साल 2006 में जहां हर महीने पीजीआई में ग्लूकोमा के 250 सर्जरी होती थी, वहीं अब हर महीने करीब 1 हजार सर्जरी की जा रही है.
साल दर साल बढ़ा मरीजों का आंकड़ा
पीजीआई के एडवांस आई सेंटर के प्रोफेसर एस एस पांडव ने बताया कि साल 2008 तक पीजीआई में हर साल करीब 8000 मरीज ग्लूकोमा का चेकअप कराने आते थे लेकिन 10 साल बाद इनकी संख्या 38000 तक पहुंच चुकी है. उन्होंने कहा कि ग्लूकोमा का अभी तक कोई इलाज नहीं है लेकिन दवाई और सर्जरी से आंखों की रोशनी को कुछ हद तक बचाया जा सकता है.
क्या है मुख्य कारण?
डॉक्टर पांडव ने कहा कि ग्लूकोमा होने की मुख्य वजह आंखों में ज्यादा प्रेशर होने से ऑप्टिक नर्व के डैमेज हो जाना. इससे हमें आसपास का दायरा दिखना बंद हो जाता है. साथ ही उन्होंने कहा कि ग्लूकोमा की समस्या आम तौर पर 40 की उम्र के बाद आती है. इसलिए 40 की उम्र के बाद लोगों को साल में एक बार आई चेकअप जरूर करवाना चाहिए.