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चंडीगढ़: मॉनसून से पहले भाखड़ा और यमुना का बढ़ा जलस्तर, सरकार को रहना होगा तैयार

हरियाणा में दो मुख्य सिस्टमों से पानी आता है एक भाखड़ा डैम और दूसरा यमुना सिस्टम. दोनों ही जगह हिमालय से लगातार पानी की सप्लाई के चलते जलस्तर में काफी बढ़ोतरी हुई है, जो एक चिंता का विषय है.

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Published : Jun 24, 2019, 8:18 AM IST

(फाइल फोटो)

चंडीगढ़: हरियाणा में आने वाले समय में पानी को लेकर मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि दुनिया भर में जहां ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ इसका असर अब हरियाणा में भी नजर आने लगा है. दरअसल हिमालय में बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिसके चलते भाखड़ा नंगल डैम में पानी का स्तर गर्मी के इस सीजन में मॉनसून आने से पहले ही 3 गुना बढ़ गया है.

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नदियों में मॉनसून से पहले ही बढ़ा जलस्तर
डैम में पानी की मात्रा बढ़ी तो नदियों में भी पानी के स्तर में इजाफा होने लगा है. ऐसे में आने वाले समय में मॉनसून के दौरान नदियों का जलस्तर पहले से भी ज्यादा बढ़ सकता है. हालांकि नदियों का बढ़ा जलस्तर किसानों के लिए धान की फसल के लिए राहत जरूर कहा जा सकता है मगर आने वाले समय में ये एक बड़ा चिंता का सबब बन सकता है.

यमुना का जलस्तर हुआ दोगुना
यमुना का जलस्तर पिछले साल के मुकाबले काफी बढ़ा है. यमुना में साल 2018 में 2605 क्यूसेक पानी था जो कि मौजूदा समय में 4325 क्यूसेक पहुंच चुका है, क्योंकि भाखड़ा नंगल डैम में पानी की क्षमता 4.997 है जबकि मॉनसून आने से पहले ही डैम 57 फीसदी भर चुका है.

हरियाणा सिंचाई विभाग के इंजीनियर हरपाल सिंह ने बताया कि भाखड़ा नंगल डैम में लगातार पिछले साल के मुकाबले जलस्तर बढ़ा है. उन्होंने बताया कि भाखड़ा और यमुना के में जो पानी पहुंचता है वो 1674.2 फिट है जो कि पिछले वर्ष 1512.81 फीट था. इस दौरान उन्होंने बताया कि पिछले साल डब्ल्यूजीसी सिस्टम 5 ग्रुप्स में चला रहे थे जिसे अब 4 ग्रुप में 8 दिनों रोटेशन में 24 घंटे के गैप में उपलब्ध करवाया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि भाखड़ा सिस्टम के माध्यम से 16 दिनों के रोटेशन से पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है. साथ ही कहा की पहाड़ी इलाकों में बर्फ पिघलने के चलते जलस्तर बढ़ा है जो कि पिछले साल भी था.

मॉनसून से पहले नदियों में पानी बढ़ना एक चेतावनी
फिलहाल जिस तरह बर्फ पिघलने से पानी की मात्रा लगातार बढ़ी है, उससे किसानों के लिए राहत जरूर रहने वाली है. दूसरी तरफ देखना ये भी होगा कि मॉनसून के बेहतर रहने पर नदियों का जलस्तर अगर बढ़ता है तो पहले से बढ़ा जलस्तर जल्दी मुश्किलें खड़ी कर सकता है जिसके लिए सरकार को पहले से सावधान रहने की जरूरत रहेगी और अतिरिक्त प्रयास करने की भी जरूरत रहेगी.

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