चंडीगढ़: हरियाणा के सरपंच लगातार सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं. सरपंच एसोसिएशन खासतौर पर ई-टेंडरिंग विवाद और राइट टू रिकॉल का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर हमारा रिकॉर्ड हो सकता है तो फिर एमपी एमएलए का क्यों नहीं? इसके साथ ही उनका कहना है कि 73वें संविधान संशोधन की 11वीं सूची में उनको 29 अधिकार दिए हैं. इन सभी अधिकारों को पंचायतों को दिया जाए ताकि वे अपने गांव का विकास खुद कर सके. उनका कहना है कि जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती है, तब तक कोई भी सरपंच किसी भी तरह के काम का प्रस्ताव सरकार को नहीं देगा.
हरियाणा सरपंच एसोसिएशन का कहना है कि जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती तब तक कोई भी सरपंच काम नहीं करेगा. एसोसिएशन के पदाधिकारियों का यह कहना है कि अगर कोई मंत्री या कोई नेता हमारे बीच फूट डालने की कोशिश करेगा या हमें डराने धमकाने की कोशिश करेगा तो हम किसी भी कीमत पर डरने वाले नहीं है. उनका कहना है कि जब तक सरपंच गांव का मुख्यमंत्री नहीं बन जाएगा और उसके सभी विभाग नहीं मिल जाएंगे और उसे वित्तीय स्वतंत्रता नहीं मिलेगी तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें कितना भी संघर्ष करना पड़े हमारी प्रदेश की 6300 पंचायतें उसके लिए तैयार हैं.
पंचायत प्रतिनिधियों के एसोसिएशन का कहना है कि हमारी 18 तारीख को एक मीटिंग हुई, 25 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. उनका कहना है कि हमारी एसोसिएशन आगे का झंडा तैयार कर रही है, जिसके तहत 23 जनवरी को हर ब्लॉक का एजेंडा है कि वे सीएम और हरियाणा पंचायत मंत्री का पुतला फूंकने का काम करेंगे, करनाल में 25 जनवरी को कमेटी की मीटिंग है.
हरियाणा में सरपंचों का विरोध जारी, 23 जनवरी को सीएम और पंचायत मंत्री का फूकेंगे पुतला
हरियाणा में सरपंचों का विरोध लगातार देखा जा रहा है. इसके चलते हरियाणा सरपंच एसोसिएशन 23 जनवरी को सीएम और पंचायत मंत्री का पुतला फूंकेंगे और विरोध जताएंगे.
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इतना ही नहीं पंचायत प्रतिनिधियों के एसोसिएशन का कहना कि हम ई-टेंडरिंग का विरोध करते हैं क्योंकि यह एमएलए को कमीशन दिलवाना चाहते हैं. इस गांव का कोई फायदा नहीं होगा. उनका कहना है कि ठेकेदारों द्वारा किया जाने वाला काम किसी भी कीमत पर सही नहीं हो सकता, क्योंकि ठेकेदार व्यापारी हैं. वह अपना फायदा देखते हैं. इतना ही नहीं उनका कहना है कि पंचायत मंत्री का 23 तारीख को अपने गांव में कार्यक्रम में और उसके लिए भी सरपंचों को बुलाने में जुटे हुए हैं, लेकिन हम भी देखते हैं कि कितने सरपंच वहां पहुंचते हैं.
पंचायत प्रतिनिधियों के एसोसिएशन ने कहा कि ई-टेंडरिंग मामले में कंप्यूटर हाथ में रखेंगे, मनचाहे को टेंडर देंगे. ठेकेदार की पेमेंट रोकने का अधिकार सरपंच को नहीं रहा, BDPO दे देंगे. ई-टेंडरिंग को लेकर उनका कहना है कि PWD डिपार्टमेंट में 8 से 10 परसेंट का कमीशन चलता है, वहां ठेकेदार से काम होता है, सबको पता है. वहीं उनका कहना है कि वे अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन डीसी के माध्यम से मुख्यमंत्री को दे रहे हैं.