चंडीगढ़: अंबाला से बीजेपी सांसद रतनलाल कटारिया का 72 साल की उम्र में निधन हो गया है. रतनलाल कटारिया का जन्म 1 जुलाई 1950 को हरियाणा के यमुनानगर जिले के संधली गांव में हुआ था. उन्होंने 1970 के दशक में जनता पार्टी के सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया. बाद में जब भारतीय जनता पार्टी अस्तित्व में आई तो बीजेपी के सदस्य बन गये. 1985 में यमुनानगर की रादौर विधानसभा सीट से वो पहली बार विधायक बने.
रतनलाल कटारिया अंबाला लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर 3 बार- 1999, 2014 और 2019 में संसद सदस्य के रूप में चुने गये. रतनलाल कटारिया को मई 2019 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में जल शक्ति और सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री बनाया गया था. उन्होंने भाजपा में विभिन्न कई बड़े पदों पर काम किया. वो 2000 से 2003 तक हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे. 2019 में, उन्हें लोकसभा में भाजपा के उप मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त किया गया था. कटारिया हरियाणा में विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों से भी जुड़े रहे हैं. गरीबों और किसानों के बीच उनकी अच्छी पकड़ रही है. रतनलाल कटारिया हरियाणा में बीजेपी के बड़े दलित चेहरा थे.
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ रतनलाल कटारिया और उनकी पत्नी बंतो कटारिया. ये भी पढ़ें-अंबाला सांसद रतनलाल कटारिया का निधन, आज होगा मनीमाजरा में अंतिम संस्कार
रतनलाल कटारिया भाजपा की दक्षिणपंथी विचारधारा और नीतियों के प्रबल हिमायती रहे हैं. उन्होंने शुरुआती दौर में हरियाणा में पार्टी के जनाधार को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. रतन लाल कटारिया को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ घनिष्ठ संबंध के लिए भी जाना जाता है. कटारिया अपनी युवा उम्र से ही आरएसएस से जुड़ गये थे. कई दशकों तक वो आरएसएस के सक्रिय सदस्य के रूप में जुड़े रहे. उन्होंने आरएसएस में विभिन्न पदों पर कार्य किया है, जिसमें 'प्रचारक' (पूर्णकालिक कार्यकर्ता) और अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (एबीकेएम) के सदस्य की जिम्मेदारी शामिल है.
रतनलाल कटारिया हरियाणा में बीजेपी को मजबूत करने वाले नेता रहे हैं. कटारिया आरएसएस से जुड़े कई अन्य संगठनों जैसे विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) से भी जुड़े रहे हैं. वह आरएसएस की विचारधारा के प्रबल समर्थक रहे हैं और सक्रिय रूप से हिंदू राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सामाजिक रूढ़िवाद के सिद्धांतों पर अपना समर्थन खुले रूप में जाहिर करते रहे हैं. वो आरएसएस और उससे संबंधित संगठनों द्वारा आयोजित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रचार में भी शामिल रहे हैं. कटारिया बीजेपी के ऐसे नेताओं में रहे हैं जिन्होंने आरएसएस के साथ जुड़कर हरियाणा समेत देश के बाहर कई राज्यों में पार्टी को मजबूत करने का काम किया और एक कार्यकर्ता से लेकर केंद्रीय मंत्री बनने तक का सफर तय किया.
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