चंडीगढ़: राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से मानहानि मामले में मिली 2 साल की सजा के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. वहीं राहुल गांधी किसी भी तरह से इस मुद्दे पर माफी मांगने को तैयार नहीं है और डटकर इसके खिलाफ जनता के दरबार में लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी भी इस मुद्दे को भुनाकर आने वाले लोकसभा चुनाव और राज्यों में होने वाले चुनाव में भी इसका लाभ उठाने में पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी.
जहां तक बात हरियाणा की है तो हरियाणा में भी अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. हालांकि उससे पहली लोकसभा के चुनाव होंगे. ऐसे में हरियाणा कांग्रेस भी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से जनता के दरबार में उठाकर इसका लाभ लेने की कोशिश करेगी. यही वजह है कि हरियाणा कांग्रेस रविवार को चंडीगढ़ में इस मुद्दे पर पार्टी कार्यालय में सत्याग्रह कर रही है. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी मौजूद रहेंगे.
ऐसे में सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी के प्रकरण का हरियाणा की राजनीति पर असर होगा? इसको लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस पार्टी को इसका लाभ मिलेगा. वे कहते हैं कि हरियाणा कांग्रेस भी जरूर इससे फायदा उठाना चाहेगी. लेकिन इसका फायदा पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा होगा.
वहीं वे कहते हैं कि हरियाणा कांग्रेस भी जरूर कोशिश करेगी कि इस मुद्दे को हर हाल में भुनाया जाए. इसके लिए पार्टी के नेता हर स्तर पर आवाज बुलंद कर लोगों तक इस मुद्दे को पहुंचाने की कोशिश भी करेंगे. यानी कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के इस प्रकरण का फायदा राष्ट्रीय स्तर पर तो उठाएगी ही राज्य स्तर की बात की जाए तो प्रदेश के नेता जरूर इसका लाभ उठाने की कोशिश करेंगे.
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इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि राहुल गांधी जिस तरीके से अडिग हैं, उससे यह साफ हो गया है कि वह इस मुद्दे के सहारे भारत जोड़ो यात्राकी तरह ही अपना कद और बड़ा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे. वे कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी इसका लाभ सबसे ज्यादा उठाने का प्रयास करेगी.
जहां तक हरियाणा की बात है तो प्रदेश के नेता पहले ही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है. ऐसे में राहुल गांधी ने जिस तरीके से खुद की सदस्यता रद्द होने के बाद रुख अपनाया है और जिस तरीके से सत्तापक्ष को इस मामले में घेरने की कोशिश की है उससे वे अपनी छवि को और मजबूत करने में जरूर कामयाब हुए हैं. ऐसे में पार्टी के नेता भी राहुल गांधी की बदलती छवि का लाभ उठाना चाहेंगे.