चंडीगढ़: हरियाणा में निकाय चुनाव (civic election in haryana) की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही सियासी पारा सातवें आसमान पर पहुंच चुका है. एक तरफ भ्रष्टाचार और महंगाई को मुद्दा बनाकर कांग्रेस हरियाणआ सरकार को घेरने की तैयारी में लगी है तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी काफी सक्रीय नजर आ रही है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने मंत्री को भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त करने के बाद जेल की हवा खाने के लिए भेज दिया. इसको आगे रखकर आम आदमी पार्टी जनता के बीच अपनी भ्रष्टाचार विरोधी छवि पेश करने की तैयारी में है.
अब बड़ा सवाल ये कि क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ पंजाब मॉडल का हरियाणा में असर होगा? क्या इसकी वजह से हरियाणा सरकार भी दबाव में नजर आएगी? क्या आम आदमी पार्टी हरियाणा में इसका लाभ लेने की पूरी कोशिश करेगी?इस सभी सवालों पर राजनीतिक मामलों के जानकार डॉक्टर सुरेंद्र धीमान ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा जरूर बनाएगी, क्योंकि हरियाणा प्रभारी सुशील गुप्ता भी कह चुके हैं कि एक तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपने एक मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में हटा दिया था.
भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बना सकता है विपक्ष पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी ऐसा ही करके साफ संदेश दे दिया है कि भ्रष्टाचार को वो किसी कीमत पर सहन नहीं करेंगे. ऐसे में निश्चित तौर पर ही आम आदमी पार्टी इसे चुनावों में भुनाने का प्रयास जरूर करेगी. सुरेंद्र धीमान ने कहा कि भ्रष्टाचार समाज में फैल चुका है. इस पर कुछ हद तक तो अंकुश लगाया जा सकता है, लेकिन इसे खत्म करना मुश्किल है. ना भ्रष्टाचार पंजाब में खत्म हुआ, ना हरियाणा में और ना ही किसी अन्य राज्य में. लंबे समय तक सरकार रहने से अक्सर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं. राजनीतिक विशलेषक ने कहा कि हरियाणा में 8 साल से बीजेपी और वर्तमान में गठबंधन के साथ सरकार चल रही है.
ऐसे में इतने समय कोई पार्टी सत्ता में रहती है तो भ्रष्टाचार के आरोप तो लगता ही हैं. हालांकि भ्रष्टाचार के आरोप विपक्ष लगाता है, तो उन्हें ये कहकर सरकार द्वारा टाल दिया जाता है कि आरोप लगाना तो विपक्ष का काम है. सुरेंद्र धीमान ने कहा कि हरियाणा में सरकार ने कई मामलों में खुद भी कार्रवाई की है. ऐसा नहीं है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम नहीं उठा रही है, लेकिन अभी तक ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई नहीं हुई है. जो पंजाब ने किया है उसका दबाव हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों पर भी पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि अक्सर गठबंधन की सरकारों में एक्शन लेने में कमी पाई जाती है, क्योंकि हरियाणा में गठबंधन की सरकार है तो ऐसे में कई बार चीजें गठबंधन के हिसाब से भी होती हैं, लेकिन पंजाब में पूरी फोर्स के साथ आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है. तो ऐसे में एक-दो के खिलाफ कार्रवाई भी कर दी जाए तो इसका सरकार पर असर नहीं पड़ता है, लेकिन कार्रवाई करना बड़ी बात है. सुरेंद्र धीमान ने कहा कि पूर्व की सरकारों में भी अकसर भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया जाता था और उसको लेकर अक्सर सवाल जवाब किए जाते थे. उनकी जांच भी होती थी. चाहे सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा हो या फिर राजनीतिक स्तर पर. उस पर अंकुश लगा पाना मुश्किल है.
हरियाणा में मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी भ्रष्टाचार के खिलाफ है. इससे कई अधिकारी भी और कर्मचारी भी पकड़े जाते हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब में एक मंत्री के खिलाफ कार्रवाई होने से हरियाणा सरकार पर कोई प्रेशर बनता नहीं दिख रहा है. हरियाणा में वैसे ही सरकार पर इस तरह के मामलों में दबाव बन रहा है, क्योंकि पहले हरियाणा पब्लिक सर्विस कमिशन में और फिर फरीदाबाद नगर निगम, इसके अलावा अर्बन लोकल बॉडी हो या फिर ग्रामीण स्तर पर पंचायत सभी जगह भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. ऐसे में हरियाणा में भ्रष्टाचार को लेकर सरकार दबाव में दिखाई देती है.
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